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टू-जी मामले में सीबीआई की अपील को हाईकोर्ट ने किया स्वीकार, कहा-गहराई से साक्ष्यों के जांच की जरूरत - 2G spectrum case

2G spectrum case: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री और वर्तमान लोकसभा सांसद ए राजा और कई अन्य को बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील शुक्रवार को स्वीकार कर ली.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 22, 2024, 12:26 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर अपील को स्वीकार कर लिया है. जस्टिस दिनेश शर्मा की बेंच ने ये आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रथमं दृष्टया ऐसा लगता है कि सभी साक्ष्यों पर गहराई से पड़ताल की जरुरत है. हाईकोर्ट ने 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सीबीआई ने अपनी अर्जी में ए राजा समेत दूसरे आरोपियों को बरी करने के आदेश को चुनौती दी है. 23 नवंबर 2020 को जस्टिस बृजेश सेठी की बेंच ने आरोपियों की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने जरुरी स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से सीबीआई की अपील को खारिज करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में हुआ संशोधन उन मामलों पर लागू नहीं होता जो संशोधन के पहले के हैं.ये संशोधन पहले के कानून के काटने के लिए नहीं किए गए हैं.

जस्टिस बृजेश सेठी ने कहा था कि सीबीआई को अपील दायर करने के स्वीकृति लेने की जरुरत नहीं है क्योंकि खुद स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर ने अपील दायर किया है. जस्टिस बृजेश सेठी के 30 नवंबर 2020 को रिटायर होने के बाद इस मामले को जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच के समक्ष लिस्ट किया गया. इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.

25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है. बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है.

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