सवाई माधोपुर : शहर आज 262 वर्ष का हो गया. सवाई माधोपुर शहर की स्थापना जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम द्वारा 1763 में की गई थी. इस अवसर पर स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया. स्थापना दिवस के कार्यक्रम में अव्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन पर सवाल भी खड़े हुए हैं..
रणथंभौर दुर्ग में पूजा अर्चना :शहर के 262वें स्थापना दिवस पर सुबह रणथंभौर दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर में पूजा अर्चना के बाद दो दिवसीय कार्यक्रमों की शुरुआत हुई. नगर परिषद परिसर में स्थित सवाई माधोसिंह प्रथम की प्रतिमा के पास कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में जनभागीदारी कम रही. साथ ही लोगों ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लेकर सवार खड़े किए. कार्यक्रम में जिला कलेक्टर शुभम चौधरी और एसपी ममता गुप्ता शामिल रही.
इसे भी पढ़ें-297 साल का हुआ जयपुर, ब्रह्मांड की परिकल्पना पर बसाया गया था शहर, वास्तु कला और आध्यात्म का अनूठा उदाहरण
पर्यटन विभाग के निदेशक की प्रतिक्रिया :पर्यटन विभाग के निदेशक मधुसूदन पारीक ने कहा कि आज सवाई माधोपुर के 262वें स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत त्रिनेत्र गणेश जी की पूजा अर्चना से हुई और बाद में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम को लेकर विभिन्न माध्यमों से सूचनाएं और निमंत्रण भेजे गए थे, लेकिन जनभागीदारी कम रही. उनका कहना था कि इस कार्यक्रम में शामिल होना शहरवासियों की भी जिम्मेदारी है.
स्थापना दिवस को भव्य बनाने की जिम्मेदारी :शहर के स्थापना दिवस को भव्य रूप से मनाने के लिए जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग और नगर परिषद को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. राज्य सरकार ने इस बार इस आयोजन के लिए 10 से 15 लाख रुपए का बजट आवंटित किया था. पर्यटन विभाग ने स्थानीय होटल, हॉस्पिटल और अन्य संस्थाओं से आर्थिक सहयोग भी लिया था.
इसे भी पढ़ें-Rajasthan: श्रीगंगानगर का स्थापना दिवस मनाया, शिवपुर हैड पर की पूजा अर्चना, भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी भी हुए शामिल
शोभायात्रा में जनभागीदारी की कमी :शहर के स्थापना दिवस के अवसर पर भेरू दरवाजे से राजबाग मैदान तक शोभायात्रा निकाली गई. इसमें कई कलाकार विभिन्न वेशभूषाओं में सुसज्जित होकर नाचते-गाते और मुद्राओं का प्रदर्शन करते दिखे. हालांकि, प्रशासन की व्यवस्थाओं को लेकर कलाकार भी नाराज थे. शोभायात्रा में भीड़ जुटाने के लिए प्रशासन ने स्कूली बच्चों को शामिल किया, लेकिन जनभागीदारी नगण्य रही. वहीं, राजबाग मैदान पर पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया. इस दौरान साफा, मटकी दौड़, चम्मच दौड़ और रस्साकस्सी जैसी खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गई.