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महाअष्टमी कब, 10 या 11 अक्टूबर को, जानें शुभ-मुहूर्त - Ashtami Kanya Pujan Time

Ashtami Pujan Time : नवरात्रि में महाअष्टमी काफी महत्वपूर्ण होता है. जानें कब है इसका शुभ-मुहूर्त.

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महाअष्टमी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2024, 12:13 PM IST

Updated : Oct 5, 2024, 12:36 PM IST

हैदराबादः शारदीय नवरात्रि जारी है. इस दौरान मां भगवती के नौ रूपों की नौ दिनों तक श्रद्धा व नियम के साथ भक्त पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. दुर्गा पूजा का दूसरा दिन महाष्टमी है, जिसे महा दुर्गाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. महाष्टमी नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है. षोडशोपचार पूजा एवं महास्नान के साथ महाष्टमी प्रारंभ होता है. धार्मिक मामलों के जानकारों के साथ सप्तमी के समान ही महाअष्टमी की पूजा होती है, सिर्फ महासप्तमी पर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.

कब है महाअष्टमी 10 या 11 अक्टूबर को
द्रिक पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 दोपहर 12.31 बजे से प्रारंभ है. 11 अक्टूबर 2024 दोपहर 12.06 बजे अष्टमी समाप्ति का समापन हो जायेगा. वहीं नवमीं तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से प्रारंभ होकर 12 अक्टूबर को सुहब 10 बजकर 58 मिनट तक है.

10 अक्टूबर को अष्टमी व्रत नहीं रखा जा सकता है. धर्म ग्रंथों में सप्तमी युक्त अष्टमी व्रत निषेध माना गया है. 11 अक्टूबर को दोपहर तक अष्टमी तिथि है. उसके बाद नवमी शुरू हो जायेगा. इस कारण 2024 में अष्टमी व नवमीं एक ही दिन पड़ रहा है.

महाअष्टमी का समय

अष्टमी तिथि प्रारंभ-10 अक्टूबर 2024 दोपहर 12.31 बजे से

अष्टमी तिथि समाप्ति-11 अक्टूबर 2024 दोपहर 12.06 बजे तक

कन्या पूजन शुभ मुहूर्त- 11 अक्टूबर 2024

  1. ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 16 मिनट से 5 बजकर 5 मिनट तक
  2. प्रातः सन्ध्या- सुबह 4 बजकर 41 मिनट से 5 बजकर 54 मिनट तक
  3. अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 8 मिनट तक
  4. विजय मुहूर्त-दोपहर 1 बजकर 41 मिनट से 2 बजकर 28 मिनट तक
  5. गोधूलि मुहूर्त- संध्या 5 बजकर 34 मिनट से 5 बजकर 59 मिनट तक
  6. सायाह्न सन्ध्या- संध्या 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 48 मिनट तक

महाअष्टमी के अवसर पर छोटे-छोटे नौ कलशों को स्थापित कर माता के नौ शक्ति के रूपों का आह्वान किया जाता है. इस दिन माता के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. महाअष्टमी के अवसर पर कन्या पूजन/कुमारी पूजन की परंपरा है. इस दौरान कुंवारी कन्याओं को मां दुर्गा का साक्षात रूप मानक नियम पूर्वक उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. इस अवसर कई जगहों को इन कन्याओं को अंग-वस्त्र, नकद व भोज्य सामग्री की भी परंपरा है. दूसरी ओर कई जगहों पर नवरात्रि में लगातार नौ दिनों तक कन्याओं का पूजन किया जाता है. ऐसे ज्यादातर जगहों पर महाष्टमी के अवसर पर कन्या पूजन की परंपरा है.

महाअष्टमी के दिन पौराणिक सन्धि पूजन की परंपरा है. अष्टमी के दिन के अंतिम 24 मिनट का समय व नवमी के दिन का पहला 24 मिनट के समय को सन्धिकाल के रूप में जाना जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में सन्धिकाल सर्वाधिक पवित्र समय होता है. सन्धिकाल में शुभ मुहूर्त में पशुबलि की परंपरा है. वहीं कई जगहों पर शाकाहारी बलि की भी परंपरा है, इसमें प्रतीक के रूप में हरी सब्जी जैसे नेनुआ सब्जी (Sponge Ground), ककड़ी, खीरा, केला सहित उपलब्धता के आधार पर बलि की परंपरा है.

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