हैदराबादः शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व है. महाष्टमी को महा दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है. दुर्गा पूजा में महाष्टमी का विशेष महत्व है. महास्नान व षोडशोपचार पूजन के साथ महाष्टमी प्रारंभ होता है. इस साल महाअष्टमी तिथि को लेकर संशय था. यानि अष्टमी व कन्या पूजन कब होगा.
द्रिक पंचांग के अनुसार अष्टमी 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ है. 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 को अष्टमी का समापन होगा. दूसरी ओर नवमीं तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर दोपहर 12.6 बजे से शुरू होकर 12 अक्टूबर को सुबह 10.58 बजे तक है. 10 अक्टूबर को अष्टमी व्रत रखना शास्त्र सम्मत नहीं है. धर्म ग्रंथों के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी पर व्रत निषेध है. अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर तक है. उसके बाद नवमी शुरू हो जायेगा. इस कारण इस साल अष्टमी के दिन ही नवमीं पड़ रहा है.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र के अनुसार2-10 साल की कन्याओं को कुमारी/कन्या पूजन के लिए उपयुक्त माना जाता है. एक साल की बच्ची का कन्या पूजन करने से बचना चाहिए. इस दौरान लोग अपनी क्षमता और आस्था के आधार पर कन्या पूजन और सम्मान करते हैं. कन्या पूजन के दौरान देवी के नौ रूपों के रूप में देखा जाता है. कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शाम्भवी, दुर्गा, भद्रा या शुभद्रा. महाअष्टमी के अवसर
महाअष्टमी तिथि