हैदराबाद :आषाढ़ पूर्णिमा का दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. यह दिन महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास को समर्पित है. इसी दिन उनका जन्म हुआ था, इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. महर्षि वेदव्यास को मानवता का आदि गुरु (पहला गुरु) माना जाता है, उन्होंने वेदों का ज्ञान सरल भाषा में पहुंचाने की कोशिश की. महर्षि वेदव्यास को महाभारत, ब्रह्मसूत्र, श्रीमद्भागवतगीता, मीमांसा, वेदों और पुराणों का रचियता माना जाता है. Guru Purnima का बौद्ध धर्म में भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में पहला धार्मिक उपदेश या धम्म दिया था.
Guru Purnima का पूजन ऐसे करें: आचार्य राजेंद्र किराडू कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान के बाद अपने गुरु का पूजन करें और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें. यदि आपका कोई गुरू नहीं है तो महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी याद करें या उनकी प्रतिमा के सामने रोली, चंदन, पुष्प, फल और प्रसाद अर्पित करें और गुरु मंत्र का जाप करें. भारतीय संस्कृति में Guru Purnima के दिन महर्षि वेदव्यास जी के अतिरिक्त धार्मिक-शैक्षणिक गुरुओं व संतों का आशीर्वाद लेने की भी परंपरा रही है.
जरूर करें ये काम
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन भक्त स्नान,दान करने के बाद गुरुओं व संतों का आशीर्वाद लें, भोजन कराएं व उपहार दें.
- गुरु की पूजा से गुरु दोष दूर होता है, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- देव गुरु बृहस्पति की पूजा से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
- Purnima की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसे में इस दिन माता लक्ष्मी, श्री हरि विष्णु की पूजा-अर्चना करना बहुत ही शुभ माना गया है.
- पौराणिक मान्यता है कि Purnima के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देने व चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.