हैदराबादः सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण में होता है. हर साल यह 14 जनवरी को मनाया जाता है. कुछ सालों में अपवाद के तौर पर अंग्रेजी महीने के 15 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन गंगा या अन्य नदियों में स्नान कर भगवान भाष्कर को अर्ध्य देकर पूजन की परंपरा है. इस अवसर पर जरूरतमंदों तिल व गुड़ से बने उत्पाद, खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. इस अवसर पर जरूरतमंदों को फल, मिष्ठान, गर्म कपड़े, रुपया-पैसा दान करना फलदायी माना जाता है.
मकर संक्रांति का त्योहार देश भर में मनाया जाता है. यह विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. साथ ही त्योहार मनाने व पूजन की परंपराओं में भी भिन्नताएं होती है. उपलब्ध संसाधन व आहारी आदत के आधार पर मकर संक्रांति में पूजन सामग्री व प्रसाद चढ़ाया जाता है. इस अवसर पतंग उड़ाया जाता है. कई जगहों पर इस अवसर पर व्यापक पैमाने पर पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है.
इन नामों से भी देश से जाना जाता है मकर संक्रांति
- बिहार में मकर संक्रांति को तिल संक्रांत, दही चुरा, तिलवा पर्व और खिचड़ी पर्व के नाम से मुख्य रूप से जाना जाता है.
- गुजरात में उत्तरायण के नाम से जाना जाता है. असम में भोगाली बिहू व माघ बिहू के नाम से जाता है.
- हरियाणा व पंजाब में मकर संक्रांति, माघी लोहड़ी के नाम से जाता है.
- कर्नाटक में एलु-बिरोधु और केरल में विलक्कू के नाम से संक्रांति को जाना जाता है.
- आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में इसे पेड्डा पंडगा के नाम से जाना जाता है.
- तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल कहा जाता है. यहां यह त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है. चार दिनों तक क्रमशः भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कन्या पोंगल मनाया जाता है.