हैदराबादःमहिलाएं अखंड सौभाग्य (सुहाग) के लिए हर साल करवा चौथ का व्रत रखती हैं. इस दौरान व्रती अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल यह त्योहार अक्टूबर महीने की 20 तारीख, दिन रविवार को है. यह त्योहार उत्तर भारत में ज्यादा लोकप्रिय है. वहीं, इंटरनेट व मोबाइल के प्रसार के बाद यह व्रत ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार फैल रहा है. दक्षिण भारत में काफी कम संख्या में यह व्रत करती हैं.
करवा चौथ व्रत में महिलाएं महिलाएं दिन भर उपवास करती हैं. यह व्रत काफी कठोर होता है. इसमें सूर्योदय से चंद्रोदय (चांद निकलने के बाद) तक व्रती अन्न-जल ग्रहण करती हैं. चंद्रोदय के बाद महिलाएं नियम पूर्वक पारण करती हैं. इस व्रत में चांद का महत्व काफी ज्यादा है. ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ करने वाली महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है. उनके जीवन में आने वाले खतरे से वे सुरक्षित रतहे हैं.
बता दें कि करवा चौथ में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश के साथ-साथ चंद्र भगवान की पूजा की जाती है. पूजन में मौसमी फल, नारियल, आदि चढ़ाया जाता है. इस दौरान महिलाएं नये वस्त्र या साफ सुथरा वस्त्र पहनती हैं. सोलह श्रृंगार कर तैयार होती हैं. दीपक जला कर करवा चौथ व्रत सुनती हैं या स्वयं पढ़ती हैं.
करवा चौथ का दिन करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. बता दें कि करवा शब्द का उपयोग करक मिट्टी के पात्रों के लिए किया जाता है. इसका उपयोग पुराने जमाने चंद्रमा को जल अर्पण के लिए किया जाता है. पूजन के बाद प्रसाद व करवा को दान करने की परंपरा रही है.