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Dhanteras 2024 कब है धनतेरस, किस मुहूर्त में पूजन करने से मां लक्ष्मी घर में करती हैं वास, जानें

दिवाली की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. इस दिन हर परिवार अपनी आर्थिक क्षमता के आभूषण, वाहन, जमीन, घर आदि में निवेश करते हैं.

Dhanteras 2024
धनतेरस का शुभ मुहूर्त (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 21, 2024, 6:05 AM IST

Updated : Oct 28, 2024, 2:53 PM IST

हैदराबादः धनतेरस पूजा, धनत्रयोदशी पूजा, धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान ही किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारंभ होता है. यह लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक होता है. धनतेरस पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल का समय होता है, जब स्थिर लग्न होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार स्थिर लग्न में धनतेरस पूजन किया जाए तो माता लक्ष्मी घर में स्थिर हो जाती हैं. इसी कारण इस समय को धनतेरस पूजन के लिए उपयुक्त माना जाता है. वृषभ लग्न को भी स्थिर माना जाता है. दिवाली में यह ज्यादातर समय प्रदोष काल के साथ रहता है.

दिवाली (ETV Bharat)

द्रिक पंचांग के अनुसार धरतेरस मुहूर्त के समय स्थिर लग्न के साथ-साथ त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल होता है. पंचांग के अनुसार धनतेरस पूजन के लिए तय समय में एक शहर से दूसरे शहर में मामूली अंतर हो सकता है. धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. वहीं धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता (जनक) धन्वन्तरि का भी जन्म दिन है. इसलिए इसी दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी होता है. इसे धन्वन्तरि जयंती के रूप में जाना जाता है.

दिवाली (ETV Bharat)

धनतेरस पूजा मुहूर्तःशाम 6 बजकर 14 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक

2024 में धनतेरस पूजन मुहूर्त की कुल अवधिः01 घंटा 38 मिनट

प्रदोष कालःदोपहर 5 बजकर 19 मिनट से रात 7 बजकर 52 मिनट

वृषभ कालःदोपहर 6 बजकर 14 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक

त्रयोदशी तिथि प्रारंभः 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समापनः 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक

क्या है यम द्वीप
धनतेरस के दिन ही यम द्वीप, जिसे यम दीपम के नाम से भी जाना जाता है. यह धनतेरस के दिन (त्रयोदशी तिथि) को मनाया जाता है. इस दिन शाम होने पर घर के बाहर एक दिया जलाया जाता है. इस अनुष्ठान को यम दीपम कहा जाता है. यह दीपक मृत्यु के देवता यमराम के लिए जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यम के नाम इस दिन दीपदान करने से यमदेव खुश होते हैं और परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु दंड नहीं देते हैं या कहें तो अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं.

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