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आंदोलन के मूड में पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक, मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा घेराव की दी चेतावनी - विधानसभा घेराव की दी चेतावनी

Panchayat Secretariat volunteer. पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक एक बार फिर से आंदोलन के मूड में हैं. उनका कहना है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे.

Panchayat Secretariat volunteers warned of assembly siege
Panchayat Secretariat volunteers warned of assembly siege

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 20, 2024, 9:25 AM IST

रांचीः अपनी मांगों के समर्थन में लंबे समय से आंदोलन कर रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ ने एक बार फिर राज्य सरकार से मांग पूरी नहीं होने पर बजट सत्र के दौरान विधानसभा घेराव करने की धमकी दी है. पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने पंचायती राज निदेशक निशा उरांव से सोमवार 19 फरवरी को मुलाकात कर मांगें पूरी करने का आग्रह किया.

विधानसभा का करेंगे घेराव

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे से भी पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ ने मुलाकात कर इस दिशा में कदम उठाने में सहयोग करने की अपील की है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने बताया कि यदि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक के सदस्य और उनके परिवार वाले 27 फरवरी से 2 मार्च तक विधानसभा का घेराव करने का काम करेंगे.

पांच सूत्री मांग को लेकर आंदोलन पर हैं पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक

आंदोलनरत पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक अपनी मांगों को लेकर कई महीनो से आंदोलन कर रहे हैं. पिछले विधानसभा सत्र के दौरान घेराव करने जा रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों पर लाठीचार्ज भी हुआ था, इससे पहले वह लगातार अनिश्चितकालीन धरना राजभवन के समक्ष देते रहे. इसके बावजूद उनकी मांगों पर सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया. इनकी पांच प्रमुख मांगों में पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों को स्थायी करने, उचित मानदेय, वर्तमान में स्वयंसेवक से काम नहीं लिया जा रहा है, उन्हें फिर से काम पर लगाने और पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक का नाम हटाकर पंचायत सहायक करने की मांग है.

आपको बता दें कि रघुवर सरकार के समय राज्य भर में करीब 18000 पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों को मनोनीत किया गया था, जिनके जिम्मे केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए सहयोग करना था. इसके एवज में काम के आधार पर अलग-अलग पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता था.

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