नई दिल्ली: पिछले कुछ सप्ताह में पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के रुख में बदलाव के स्पष्ट संकेत दिखाई दिए हैं. जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को फिर से स्थापित करने का कोई इरादा रखा है. पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद मार्च 2024 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेता शाहबाज शरीफ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनने के तुरंत बाद से बाइडेन के रुख में बदलाव के संकेत दिख रहे हैं.
इन संकेतों के महत्व को समझने के लिए, इस बात पर नजर डाली जा सकती है कि पाकिस्तान दशकों से अमेरिका की सुरक्षा रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता था, खासकर अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो हितों के संदर्भ में. अफगानिस्तान से अमेरिका की अनौपचारिक व जल्दबाजी में वापसी और 15 अगस्त 2021 को तालिबान की सत्ता में वापसी के साथ स्थिति बदल गई.
अफगानिस्तान से अपमानजनक वापसी ने जो बाइडेन (जिन्होंने तालिबान के काबुल की सत्ता पर काबिज होने से कुछ महीने पहले जनवरी 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था) की लोकप्रियता पर असर पड़ा, भले ही नाटो सैनिकों की वापसी का निर्णय पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान लिया गया था. इसी घटनाक्रम से राष्ट्रपति बाइडेन के मन में पाकिस्तानी नेतृत्व के प्रति उदासीन रवैया पैदा हुआ था. इसके बाद से बाइडेन ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान या शाहबाज शरीफ के साथ संचार (बातचीत) बंद कर दी थी. बाइडेन ने अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंधों में भू-आर्थिक समन्वय फिर से स्थापित करने की इमरान खान की इच्छा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. अक्टूबर 2022 में, बाइडेन ने पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देशों में से एक बताया था और उसके परमाणु सुरक्षा प्रोटोकॉल पर भी सवाल उठाए थे.
इस बीच पाकिस्तान और तालिबान के बीच सीमा विवाद (डूरंड रेखा), आतंकवादी संगठन टीटीपी को कथित संरक्षण और अफगान शरणार्थियों की वापसी को लेकर तनाव बढ़ रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिका के इशारे पर या तालिबान को प्रभावित करने की पाकिस्तान की क्षमता कम हो गई है. यह स्पष्ट रूप से माना जा सकता है कि 2021 में अफगानिस्तान में उलटफेर के बाद पाकिस्तान ने अमेरिकी दृष्टिकोण से इस क्षेत्र में अपना रणनीतिक महत्व खो दिया है. हालांकि, इस दौरान अमेरिका की दोहरी ट्रैक नीति के हिस्से के रूप में अमेरिकी विदेश विभाग ने भविष्य के लिए दरवाजे खुले रखने के लिए पाकिस्तान से बातचीत जारी रखी. जबकि बाइडेन ने पाकिस्तानी नेतृत्व के प्रति उदासीनता दिखाई.
बाइडेन के रुख में पहला महत्वपूर्ण बदलाव तब देखा गया जब उन्होंने इसी साल मार्च की शुरुआत में पीएम के रूप में शपथ लेने के कुछ हफ्तों के भीतर नए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को एक व्यक्तिगत पत्र (मार्च के अंत में) लिखा, जिसमें उन्होंने एक बार फिर सुरक्षा पर जोर दिया था. बाइडेन ने पत्र में कहा था कि अमेरिका-पाकिस्तान के बीच स्थायी साझेदारी हमारे लोगों और दुनिया भर के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है. अमेरिका मौजूदा समय की सबसे गंभीर वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा. पत्र में स्वास्थ्य सुरक्षा, सभी के लिए शिक्षा, पर्यावरण आदि का भी संदर्भ दिया गया.