नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच सोमवार को नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए. इनमें अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) और इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (ISPRL) के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) भी शामिल है.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "ADNOC और ISPRL के बीच समझौता ज्ञापन में अन्य बातों के अलावा भारत में कच्चे तेल के स्टोरेज के लिए अतिरिक्त अवसरों में एडीएनओसी की भागीदारी की संभावना तलाशने और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य नियमों और शर्तों पर उनके स्टोरेज और मैनेजमेंट एग्रीमेंट के रेन्युअल का प्रावधान है." यह समझौता ज्ञापन 2018 से ISPRL के मैंगलोर कैवर्न में कच्चे तेल के भंडारण में एडीएनओसी की मौजूदा भागीदारी पर आधारित है.
ISPRL क्या है?
इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड एक भारतीय कंपनी है, जो देश के स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व को बनाए रखने का काम करती है. ISPRL तेल उद्योग विकास बोर्ड (OIDB) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करती है.
ISPRL कुल 5.33 मिलियन मीट्रिक टन या 36.92 मिलियन बैरल स्ट्रैटेजिक कच्चे तेल का आपातकालीन ईंधन भंडार रखता है, जो 9.5 दिनों की खपत के लिए पर्याप्त है. ये रणनीतिक भंडारण तेल कंपनियों के पास कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के मौजूदा रिजर्व के अतिरिक्त हैं और बाहरी सप्लाई व्यवधानों के दौरान काम आते हैं. भारतीय रिफाइनर 64.5 दिनों का कच्चा तेल स्टोरेज रखते हैं, इसलिए भारत के पास कुल 74 दिनों का रिजर्ल तेल भंडारण है.
ISPRL की स्थापना क्यों की गई?
1990 में खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतों में भारी उछाल आया और भारत के आयात में भारी वृद्धि हुई. इसके बाद 1991 में भारतीय आर्थिक संकट के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से तीन सप्ताह के आयात का वित्तपोषण कर सकता था, जबकि सरकार अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में चूक करने के करीब पहुंच गई थी. भारत अर्थव्यवस्था को उदार बनाने वाली नीतियों के माध्यम से संकट को हल करने में सक्षम रहा. हालांकि, भारत तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता रहा है. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रशासन ने तेल बाजार के प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक समाधान के रूप में पेट्रोलियम रिजर्व बनाने का प्रस्ताव रखा.
इसके बाद 2005 में ISPRL को एक स्पेशल पर्पज व्हीकल के रूप में स्थापित किया गया. यह सरकार द्वारा तय की गई किसी अन्य यूनिट के लिए कच्चे तेल के संरक्षक के रूप में सुविधाओं का संचालन करने के अलावा कोर क्रिटिकल सॉवरेन कच्चे तेल भंडार के संरक्षक के रूप में भंडारण सुविधाओं का संचालन करता है. इसके उद्देश्यों में भारत सरकार की एक अधिकार प्राप्त समिति के माध्यम से सप्लाई में व्यवधान के दौरान स्ट्रैटेजिक कच्चे तेल के स्टॉक को जारी करने और पुनःपूर्ति के लिए कोर्डिनेट करना शामिल है.
ISPRL भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह कच्चे तेल के लिए अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलिटीज की योजना, निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है. यह रिजर्व कच्चे तेल के रिजर्व को मैनेज करता है और यह सुनिश्चित करता है कि आपूर्ति में व्यवधान की स्थिति में वे आसानी से उपलब्ध हो. स्ट्रैटेजिक भंडार व्यापक राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा ढांचे का हिस्सा बनते हैं, जो इमरजेंसी सप्लाई बफर प्रदान करते हैं.