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नेपाल के प्रधानमंत्री ओली आज हासिल करेंगे विश्वास मत, दो-तिहाई बहुमत की उम्मीद - Nepal PM Oli eyes

By ANI

Published : Jul 21, 2024, 12:26 PM IST

Updated : Jul 21, 2024, 12:36 PM IST

Nepal Vote Of Confidence Today: संसद सचिवालय की ओर से सार्वजनिक की गई संसदीय बैठक के कार्यक्रम के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली संसद में विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे. संसदीय गणित के अनुसार, ओली को दो-तिहाई बहुमत मिल सकता है, बशर्ते कि पद पर नियुक्ति के दौरान उन्हें दिया गया समर्थन जारी रहे.

Nepal Vote Of Confidence Today
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पुष्प दहल कमल की फाइल फोटो. (IANS)

काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली आज विश्वास मत लेने की तैयारी में हैं. उन्हें संसद में दो-तिहाई बहुमत की उम्मीद है. इस साल जुलाई के मध्य में प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए ओली रविवार को दोपहर 1 बजे (स्थानीय समयानुसार) होने वाली बैठक में संसद में विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे.

ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं, जबकि गठबंधन की मुख्य सहयोगी नेपाली कांग्रेस के पास 88 सीटें हैं, जनता समाजवादी पार्टी के पास सात और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के पास संसद में चार सीटें हैं. ये सभी दल सरकार में भी शामिल हैं.

इसके अलावा, ओली को जनता समाजवादी पार्टी से वोट मिलने की उम्मीद है, जिसके पास 5 सीटें हैं, जनमत पार्टी के पास 6 सीटें हैं और नागरिक मुक्ति पार्टी के पास 4 सीटें हैं. इन सभी पार्टियों की संयुक्त ताकत 192 है, जो 275 सीटों वाली संसद में आवश्यक दो-तिहाई बहुमत से आठ सीटें अधिक है.

सीपीएन-यूएमएल के मुख्य सचेतक महेश बरतौला ने कहा कि सभी सांसदों को आज के विश्वास मत में भाग लेने के लिए अधिकृत किया गया है. हमने निचले सदन में अपने सभी पार्टी सांसदों को प्रधानमंत्री के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के समर्थन में मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया है.

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष ओली 2 जुलाई को आधी रात के बाद नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के साथ समझौता करने के बाद सत्ता में लौट आए. दोनों दलों के नेताओं के अनुसार, इस समझौते को अभी सार्वजनिक किया जाना बाकी है, जिसके अनुसार ओली दो साल तक सत्ता में बने रहेंगे और उसके बाद देउबा को सत्ता सौंप देंगे.

ओली के खिलाफ वोट देने वालों में सीपीएन-माओवादी सेंटर, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और दक्षिणपंथी राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) शामिल हैं. पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के फ्लोर टेस्ट में आरपीपी ने 12 जुलाई को विश्वास मत के खिलाफ मतदान किया था. शनिवार को संसदीय समिति की बैठक बुलाकर पार्टी ने रविवार को ओली की ओर से पेश किए जाने वाले विश्वास मत के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया.

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद लिंगडेन ने एएनआई को फोन पर बताया कि वर्तमान प्रधानमंत्री के पास संसद में पर्याप्त बहुमत है. इस महीने की शुरुआत में जो समझौता हुआ था, उसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है और दोनों ही प्रमुख दल संविधान पर पुनर्विचार करने के लिए गंभीर नहीं दिखते.

हम संविधान संशोधन पर काम कर सकते हैं, लेकिन हम संसद में विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे. इसके अलावा, आरपीपी के पास सदन में 14 सीटें हैं. इससे पहले, माओवादी केंद्र (32 सीटें), राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (21) और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट (10) ने प्रस्ताव में ओली के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया था.

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Last Updated : Jul 21, 2024, 12:36 PM IST

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