विंडहॉक:सवा आठ लाख वर्ग किलोमीटर में फैला नामीबिया इन दिने सूखे और भुखमरी से जूझ रहा है. आलम ये है कि लोग अब जंगली जानवरों को मारकर अपनी भूख मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में नामीबिया की सरकार ने जंगली जानवरों को मारने का आदेश दिया है. सरकार ने कुल 723 जंगली जानवरों का शिकार करने और उनका मांस गरीबों में बांटने को कहा है.
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक नामीबिया सरकार ने जिन जानवरों को मारने का आदेश ने दिया है, उनमें हिप्पो (दरियाई घोड़े), भैंस, ब्लू वाइल्डबीस्ट, जेब्रा, हाथी और एलैंड्स (हिरण की एक प्रजाति) शामिल है. जानकारी के मुताबिक अब तक इनमें से 150 से ज्यादा जानवरों को मारा जा चुका है और मांस सूखा प्रभावित इलाकों में बांटा गया है.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने शुक्रवार को एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में देश की स्थिति को मानवीय संकट बताया. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सूखे के परिणामस्वरूप देश के लगभग 84 प्रतिशत खाद्य भंडार समाप्त हो गए हैं और 2.5 मिलियन आबादी वाले देश में लगभग आधे लोगों को सितंबर तक के सूखे के मौसम के दौरान उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है.
देश के पर्यावरण मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया, "यह अभ्यास आवश्यक है और हमारे संवैधानिक जनादेश के अनुरूप है, जहां हमारे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नामीबियाई नागरिकों के लाभ के लिए किया जाता है."
क्यों पड़ रहा है सूखा और क्या हैं इसके प्रभाव?
बता दें कि दक्षिणी अफ्रीका में अक्टूबर 2023 से भयंकर सूखा पड़ रहा है. क्षेत्र में बढ़ते तापमान के कारण कम वर्षा हुई है. वैज्ञानिकों के अनुसार फरवरी में जब बारिश का मौसम सामान्य रूप से चरम पर होता है, इस क्षेत्र में आवश्यक वर्षा का 20 प्रतिशत से भी कम वर्षा हुई.
हालांकि, यह क्षेत्र सूखा-ग्रस्त है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि एल नीनो मौसमी घटना जो आमतौर पर वैश्विक तापमान को बढ़ाती है, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के साथ मिलकर वर्तमान में सामान्य से भी बदतर सूखे की स्थिति को जन्म दे रही है. नामीबिया, जिम्बाब्वे, मलावी और जाम्बिया ने सूखे की आपात स्थिति घोषित कर दी है.
अपने पड़ोसियों की तरह, नामीबिया भी कृषि और पशुधन पर निर्भर है, जिसके लिए बारिश की जरूरत होती है. हालांकि, हाल के वर्षों में यहां कई सूखे पड़े हैं, जिससे खाद्य उत्पादन प्रभावित हुआ है. अधिकारियों ने 2013 से 2019 के बीच तीन बार सूखे की आपात स्थिति घोषित की थी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि मौजूदा सूखा पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर कुपोषण के मामलों में योगदान दे रहा है - और कुछ मामलों में, मृत्यु भी.
महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा का खतरा
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सूखे के कारण महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा का खतरा भी बढ़ गया है. आमतौर पर अपने परिवार के लिए पानी लाने वाली महिलाओं और लड़कियों को लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है, जिससे उन पर हमले का खतरा बढ़ गया है.
हैजा जैसी बीमारियों का खतरा
अधिकारियों का कहना है कि हैजा जैसी बीमारियां भी फैल रही हैं. इसके अलावा, नामीबिया के पर्यावरण मंत्रालय का कहना है कि सामान्य से ज़्यादा शुष्क परिस्थितियां मानव-वन्यजीव संघर्ष को बढ़ा रही हैं, क्योंकि मनुष्य और जानवर जल और भूमि संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. अपने पड़ोसियों की तरह नामीबिया में भी वन्यजीवों की संख्या काफी ज़्यादा है, जिसमें 24,000 हाथी शामिल हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी में से एक है.