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नरभक्षियों से मिला इंडियन यूट्यूबर, घने जंगलों में रहते है ये लोग, शेयर किया वीडियो - INDIAN VLOGGER MEET KOROWAI TRIBE

Indian Vlogger Meet Korowai tribe, इंडोनेशिया के घने जंगलों में रहने वाली कोरोवाई जनजाति से भारतीय यूट्यूबर ने मुलाकात की.

Indian YouTuber meets Korowai tribe
कोरोवाई जनजाति से मिला इंडियन यूट्यूबर (Instagram/@ghoomtainsaan)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 23, 2024, 5:31 PM IST

जकार्ता : इंडोनेशिया के घने जंगलों में एक ऐसी आबादी बसती है, जो नरभक्षी है. एक ऐसी जनजाति है जिसे मानव मांस खाना पसंद है. यह जानकारी भारतीय यूट्यूबर धीरज मीणा ने अपनी अनोखी यात्रा का अनुभव सोशल मीडिया पर साझा किया है.

इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत के कोरोवाई जनजाति के लोग जंगलों में रहते हैं. यह पेड़ों पर बनाए घरों में रहने के साथ जंगल पर जीवन आश्रित होता है. इस बारे में ट्रैवल व्लॉगर धीरज ने उनकी पारंपरिक जीवनशैली सहित अन्य कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला है.

हालांकि कोरोवाई जनजाति के लोग मूल रूप से नरभक्षण के लिए जाने जाते थे. परंतु व्लॉगर मीणा से बातचीत में पता चला कि अब यह प्रथा अब समाप्त हो चुकी है. वहीं जनजाति के एक सदस्य ने व्लॉगर को बताया कि पिछले 16 सालों से इस तरह का कोई काम नहीं देखा गया है. ऐसा केवल कबीलाई संघर्षों के दौरान हुआ करता था.

इतना ही नहीं कबीलाई संघर्षों के समय कोरोवाई अपने दुश्मनों को मार कर खा जाते थे. विशेषकर उन्हें, जो महिलाओं को पकड़ लेते थे. लेकिन अब यह प्रथा उनकी संस्कृति में नहीं है. उन्होंने कोरोवाई लोगों को गर्मजोशी के साथ स्वागत करने वाला बताया. इसके अलावा उनकी संस्कृति और रीति-रिवाजों को जानने के मद्देनजर उनके साथ कई दिन भी व्यतीत किए.

इसी क्रम में कोरोवाई लोगों से व्लॉगर ने यह जानने की कोशिश की इंसानी मांस का स्वाद कैसा होता है, इस पर जनजाति के लोग नहीं बता पाए. लेकिन बाहरी दुनिया के संपर्क में आने से उनकी संस्कृति और जीवनशैली में काफी बदलाव आया है. यही वजह है कि यह जनजाति अब मुख्य रूप से शिकार के अलावा भोजन एकत्र करने और मछली पकड़कर अपना जीवनयापन करती है.

कोरोवाई जनजाति के लोग काफी दूरदराज के इलाकों में रहने के साथ ही पारंपरिक जीवनशैली को अपनाने हैं. इतना ही नहीं वे आज भी बिना कपड़ों के रहते हैं. हालांकि कबीले के पुरुष और महिलाएं अलग-अलग घरों में रहते हैं. इसके अलावा कोरोवाई पेड़ों पर अपना घर बनाते हैं. इन तक पहुंचने के लिए व्लॉगर ने हवाई यात्रा के अलावा 10 घंटे तक नाव में यात्रा की. इसके बाद चार घंटे तक घने जंगलों में चलने के बाद इनसे मुलाकात हो सकी.

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