वॉशिंगटन:पश्चिम एशिया में पिछले एक साल तनाव बना हुआ है. फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के इजराइल पर सात अक्टूबर के हमले के गाजा में शुरू हुआ संघर्ष आज भी जारी है. अब इसका दायरा लेबनान तक पहुंच गया है. इजराइल पर ईरान के मिसाइल हमले के बाद संघर्ष और बढ़ने की आशंका है.
इजराइल ने पिछले एक साल में फिलिस्तीनी क्षेत्र गाजा को पूरा तरह तबाह कर दिया है. इजराइल ने हमास के शीर्ष नेताओं को भी नहीं बख्शा और एक-एक कर सभी से बदला लिया. यहां तक हमास प्रमुख इस्माइल हनिया का भी सफाया कर दिया. हनिया को ईरान की राजधानी तेहरान के पॉश इलाके में बम से उड़ा दिया गया.
इजराइली सेना अब लेबनान में ईरान समर्थित सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के खिलाफ भीषण बमबारी कर रही है. साथ ही दक्षिण लेबनान में घुसकर हिजबुल्लाह का सफाया कर रही है.
मध्य-पूर्व में तनाव के बीच अमेरिकी थिंक टैंक अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट माइकल रुबिन ने भारत की तरफ से पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ इस तरह के हमलों का पक्ष लिया है. रुबिन ने कहा कि इजराइल की तरह भारत भी लंबे समय से आतंकवाद से जूझ रहा है. ऐसे में भारत को भी पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों पर हमले करने का अधिकार है. उन्होंने हमास प्रमुख इस्माइल हनिया और हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या का उदाहरण दिया.
रुबिन अपने लेखमें लिखते हैं कि इजराइल के बाद, भारत जितना लगातार और गंभीर आतंकी खतरा किसी और देश को नहीं झेलना पड़ता. दोनों ही देशों में आतंकी खतरा स्वाभाविक नहीं है. ईरान यहूदी राष्ट्र पर हमला करने वाले आतंकवादी समूहों को शह देता है और उनका समर्थन करता है. पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए वही भूमिका निभाता है. दशकों से, भारत और इजराइल दोनों ही आतंकवाद से लड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में पनपने वाले आतंकवादी कश्मीर में घुसपैठ करते थे और भारतीयों और विदेशी नागरिकों दोनों को मारते थे. 2001 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला किया और इसी आतंकी समूह ने सात साल बाद मुंबई पर दुस्साहसिक हमला किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आतंकी समूहों ने कश्मीर को भारतीयों और विदेशी नागरिकों के लिए संवेदनशील क्षेत्र बना दिया, पर्यटन उद्योग को खत्म कर दिया. हिंदुओं के साथ-साथ कश्मीरी मुसलमान भी आतंकियों से पीड़ित हैं.
इजराइल की सैन्य कार्रवाई से ईरान बेबस
रुबिन का कहना है कि 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद इजराइल ने हमास के आतंकवादियों से बदला लेने की कसम खाई और गाजा में आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की. ईरान में हमास नेता इस्माइल हनिया की लक्षित हत्या और हिजबुल्लाह के सैकड़ों सदस्यों का खात्मा कर अपने सैन्य अभियान को नए स्तर पर पहुंचा दिया है. इजराइल की सैन्य कार्रवाई से ईरान भी लाचार और बेबस दिख रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत के नीति निर्माताओं के लिए सवाल यह है कि अगर इजराइल तेहरान में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के गेस्ट हाउस में हमास प्रमुख हनिया को मार सकता है, तो भारत इस्लामाबाद या रावलपिंडी में आईएसआई के गेस्ट हाउस में जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुखों को क्यों नहीं मार सकता?
मुंबई हमलों के किसी भी गुनहगार को जीवित नहीं रहना चाहिए
रुबिन का कहना है कि अगर इजराइल हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन डिवाइस में विस्फोट कर सकता है, तो क्या भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी समूहों के साथ भी ऐसा कर सकता है? मुंबई हमलों में भाग लेने वाले किसी भी आतंकवादी को जीवित नहीं रहना चाहिए, या किसी भी आतंकवादी सरगना को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, पाकिस्तान के पंजाब या सिंध में सुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए. आईएसआई के अफसरों को भी दशकों से आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए.
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