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नींद न आने से हैं परेशान, न करें चिंता, AI दिलाएगा भरपूर नींद - AI To Solve Sleep Disorders

AI To Solve Sleep Disorders: IIIT हैदराबाद सीएसलैब और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (Nimhans) बेंगलुरू द्वारा किए गए एक संयुक्त शोध से बड़ी जानकारी सामने आई है. रिसर्च से पता चला है कि डॉक्टर और मनोचिकित्सक एआई की मदद से पॉलीसोम्नोग्राफी परीक्षण करने के बाद नींद ना आने की समस्या के समाधान के लिए दवाएं लिख सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

AI To Solve Sleep Disorders
नींद न आने की समस्या (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 1:05 PM IST

Updated : Aug 6, 2024, 1:36 PM IST

हैदराबाद:पौष्टिक आहार और पर्याप्त व्यायाम अच्छे स्वास्थ्य की आधारशिला है. लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाली नींद समग्र स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो शारीरिक, संज्ञानात्मक और भावनात्मक कल्याण को प्रभावित करती है. अच्छी नींद मांसपेशियों की वृद्धि, टिश्यू की मरम्मत और प्रतिरक्षा कार्य का समर्थन करती है, जबकि खराब नींद हार्ट संबंधी बीमारियों, शुगर और मोटापे के हाई रिस्क से जुड़ी होती है. संज्ञानात्मक रूप से, नींद स्मृति समेकन, समस्या-समाधान और निर्णय लेने में सहायता करती है, जबकि अभाव एकाग्रता को बाधित करता है, प्रतिक्रियाओं को धीमा करता है, और दीर्घकालिक संज्ञानात्मक गिरावट और अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों में योगदान देता है.

भावनात्मक रूप से, अपर्याप्त नींद तनाव, चिंता और टेंशन को बढ़ाती है, मेंटल हेल्थ समस्याओं को बढ़ाती है और दैनिक तनावों के प्रति फ्लेक्सिबिलिटी को कम करती है. खराब नींद प्रदर्शन और सुरक्षा को भी प्रभावित करती है, कम नींद सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है. ऐसे में चलिए आज अपको बताते है कि नींद संबंधी डिसऑर्डर के निदान में AI की भूमिका क्या होगी...

नींद संबंधी डिसऑर्डर के निदान में AI की भूमिका
IIT हैदराबाद CSLab के प्रमुख प्रोफेसर एस. बापीराजू और निमहंस बैंगलोर के चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा किए गए संयुक्त शोध से पता चला है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ पॉलीसोम्नोग्राफी परीक्षण अनिद्रा से उत्पन्न होने वाली समस्याओं और विकारों को हल करने में मदद करता है. निमहंस में इलाज करा रहे अनिद्रा और मानसिक समस्याओं से पीड़ित रोगियों पर पॉलीसोम्नोग्राफी परीक्षण किए गए थे. जिसमें प्रोफेसर एस. बापीराजू ने रैपिड आई मूवमेंट और स्लो आई मूवमेंट (नॉन-रैपिड आई मूवमेंट) के माध्यम से उनकी समस्याओं का विश्लेषण किया. इसे जुलाई में जारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी पत्रिका 'टेक फॉरवर्ड' में प्रकाशित किया गया था.

वर्तमान में, अनिद्रा से पीड़ित कुछ लोग 5 हजार रुपये से 20 हजार रुपये में नींद की जांच करवा रहे हैं. अब उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े पॉलीसोम्नोग्राफी परीक्षण करवाने का अवसर मिलेगा। नींद की गुणवत्ता का विश्लेषण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवाइस अनिद्रा और विकारों का पता लगाने के लिए मस्तिष्क, आंखों के कार्य और सांस लेने के पैटर्न का विश्लेषण करती है.

नींद को आम तौर पर कई अलग-अलग चरणों में विभाजित किया जाता है, जो रात भर चक्र करते हैं, प्रत्येक की विशेषता यूनिक ब्रेन वेव पैटर्न और फिजिकल एक्टिविटी से होती है. ये फेज विभिन्न संज्ञानात्मक और बायोलॉजिकल फंक्शन के लिए आवश्यक हैं, जिसमें स्मृति एकत्रीकरण, भावनात्मक रेगुलेशन और फिजिकल रेस्टोरेशन शामिल है. नींद के चक्र में मोटे तौर पर नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (NREM) नींद और रैपिड आई मूवमेंट (REM) नींद शामिल होती है. NREM नींद को आगे तीन फेज में डिवाइड किया जाता है, मतलब, N1 (हल्की नींद), N2 (गहरी नींद), और N3 (गहरी या धीमी-तरंग नींद (SWS)).

इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल सिग्नल (EEG) का उपयोग करके, विभिन्न नींद के चरणों जैसे कि N1, N2, N3 और REM को मैन्युअल रूप से या एल्गोरिदम के माध्यम से पहचाना जाता है. चाहिए. बता दें, नींद संबंधी डिसऑर्डर के निदान और मैनेजमेंट के लिए आशाजनक नए रास्ते प्रदान करती है. डीप लर्निंग (डीएल), जो कि AI का एक सब ग्रुप है, इसने नींद की अवस्थाओं के क्लासिफिकेशन को ऑटोमैटिक करने में असाधारण क्षमता दिखाई है, जो कि पारंपरिक रूप से पॉलीसोम्नोग्राफी (पीएसजी) या नींद रिसर्च डेटा के लेबर इंटेंसिव मैनुअल स्कोरिंग के माध्यम से किया जाने वाला कार्य है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आठ घंटे तक उनकी नींद के पैटर्न को रिकॉर्ड करता है. इस पर डेटा तैयार करने के बाद, यह एक रिपोर्ट प्रदान करता है कि लोग स्वाभाविक रूप से क्यों नहीं सो रहे हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर, डॉक्टर और मनोचिकित्सक विकारों को हल करने के लिए दवाएं लिखेंगे.

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Last Updated : Aug 6, 2024, 1:36 PM IST

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