जोधपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के शोधकर्ताओं ने एक नया नैनोसेंसर विकसित किया है जो साइटोकिन्स - प्रोटीन को लक्षित करता है जो शरीर की सूजन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह महज 30 मिनट में विभिन्न रोगों का जांच और प्रगति में मदद करता है.
साइटोकिन का पता लगाने के लिए वर्तमान में उपयोग की जाने वाली तकनीकों में एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट परख (एलिसा) और पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) शामिल हैं, जो विश्वसनीय होने के बावजूद अत्यधिक समय लेने वाली हैं. इनमें प्रशिक्षित कर्मियों और एक लंबे नमूना तैयार करने या विश्लेषण समय की भी आवश्यकता होती है, जिसके परिणाम आने में 6 घंटे से अधिक का समय लग सकता है.
हालांकि, नए सेंसर को इसकी तुलना में केवल 30 मिनट लगते हैं. टीम ने कहा कि यह मल्टीपल स्केलेरोसिस, मधुमेह और अल्जाइमर रोग जैसी स्थितियों के लिए चिकित्सीय विकसित करने के लिए लागत प्रभावी भी है. उन्होंने कहा कि तकनीक 'उच्च परिशुद्धता और चयनात्मकता के साथ ट्रेस-स्तरीय अणुओं का भी पता लगा सकती है.'
संस्थान ने कहा, 'यह कम सांद्रता पर भी एनालिटिक्स का पता लगाने के लिए सरफेस एन्हांस्ड रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करता है और यह सेमीकंडक्टर प्रक्रिया प्रौद्योगिकी पर आधारित है और सरफेस एन्हांस्ड रमन स्कैटरिंग (एसईआरएस) के सिद्धांत पर काम करता है.'