दिल्ली

delhi

ETV Bharat / health

सिर की चोट की अनदेखी करना पड़ सकता है भारी : 'वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे'

World Head Injury Awareness Day दुनिया भर में आमजन को हेड इंजूरी या सिर की चोट की गंभीरता तथा उससे जुड़ी जरूरी बातों के बारें में जागरूक करने तथा उससे बचने के लिए जरूरी सावधानियों व उपयोगी तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को “वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे” मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

World Head Injury Awareness Day
World Head Injury Awareness Day

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 20, 2024, 12:11 AM IST

हैदराबाद :सिर में किसी भी कारण से लगी हल्की या गंभीर चोट केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क में बड़ी क्षति का कारण बन सकती है. वहीं कई बार यह अस्थाई या स्थाई विकलांगता तथा मृत्यु का कारण भी बन सकती है. इसलिए बहुत जरूरी है कि सिर पर लगी किसी भी प्रकार की चोट को नजरअंदाज ना किया जाए और चोट लगने के बाद हल्के, गंभीर या असामान्य, किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से सही जांच व इलाज कराया जाय.

सिर में या मस्तिष्क में चोट लगने के गंभीर खतरों, उनके पीड़ित के जीवन पर पड़ सकने वाले अल्पकालिक या दीर्घकालिक प्रभावों तथा सिर को चोट से बचाने में मददगार सावधानियों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को दुनियाभर में ‘वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे’ मनाया जाता है.

क्यों है खतरनाक सिर की चोट
गौरतलब है कि सिर की चोट को वयस्कों में विकलांगता और मृत्यु के सबसे आम कारणों में से एक माना है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बड़ी दुर्घटनाओं में सिर पर लगी चोट इसका कारण बन सकती है. बल्कि कई बार खेलने कूदने के दौरान या किसी अन्य कारण से सिर लगी हल्की चोट भी गंभीर समस्याओं, विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकती है .

उत्तराखंड के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ हेम जोशी के अनुसार किसी भी कारण से सिर में चोट लगने के बाद अगर सिर पर किसी तरह का खुला घाव या गुम चोट /गुमड ( प्रत्यक्ष रूप में ना दिखने वाली चोट जिसमें दर्द के साथ सिर के किसी में सूजन हो या वह हिस्सा फूल जाए या उस स्थान पर त्वचा का रंग बदल जाए) हो, सिर में तेज दर्द हो, आंखे सूजने व पलकें बंद होने लगे , नाक या कान से रक्तस्राव और स्राव हो, गर्दन में अकड़न हो, बोलने या देखने में धुंधलापन या कठिनाई हो तथा चेतना कम होने लगे तो तत्काल चिकित्सक को दिखाना बेहद जरूरी होता है.

वह बताते हैं कि लक्षणों की अनदेखी तथा सही समय पर सही इलाज ना होना, कई गंभीर परिणामों का कारण बन सकता है. जो कई बार अस्थाई या आजीवन विकलांगता तथा कभी कभी मृत्यु का कारण भी बन सकता है.

आयोजन का महत्व
आंकड़ों की माने तो दुनिया भर में हर 4 मिनट में किसी भी कारण से सिर में लगने वाली चोट के कारण एक मौत होती है. यह आंकड़ा भारत में हर 7 मिनट में एक मौत का है. वहीं दुनिया भर में लगभग 5% से अधिक लोग दर्दनाक दुर्घटनाओं के कारण गंभीर मस्तिष्क क्षति का शिकार होते हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में कुल 4 लाख 61 हजार से ज्यादा सड़क हादसे हुए थे. जिनमें 1 लाख 68 हजार लोगों की मौत हुई थी . वहीं घोषित आंकड़ों के अनुसार भारत में हर एक मिनट में सड़क दुर्घटना में लगभग तीन लोगों की मौत होती है. और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.

हालांकि मोटर और यातायात दुर्घटनाओं को सिर में लगने वाली चोट या उसके कारण विकलांगता या मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक माना जाता है, लेकिन सिर में चोट लगने के लिए कई अलग कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे घरेलू या घर में छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं जैसे फिसलना या गिरना , खेल के दौरान गिरने और उसके कारण सिर में बाहरी या गुम चोटें लगने तथा लड़ाई-झगड़े में हाथापाई या मारपीट आदि.

‘वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे’ एक ऐसा आयोजन हैं जिस के माध्यम से सिर पर चोट लगने के बाद तत्काल उठाए जाने वाले जरूरी कदमों को लेकर लोगों को जागरूक करने , उन्हे ड्राइविंग, स्कीइंग तथा अन्य जोखिम भरे खेलों व गतिविधियों के दौरान हेलमेट पहनने जैसे तथा अन्य सुरक्षा उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित व जागरूक करने, सिर की चोटों के गंभीर परिणामों के बारे में आमजन को जागरूक करने, सिर में चोट से संबधित भ्रमों को दूर करने तथा प्राथमिक चिकित्सा व उससे जुड़े अन्य तथ्यों को लेकर लोगों को शिक्षित करने का प्रयास किया जाता है. साथ ही इस अवसर पर लोगों से अपील भी की जाती है कि वे किसी भी अवस्था में सिर में चोट को हल्के में ना ले तथा तत्काल चिकित्सक से परामर्श, सिर की जांच तथा जरूरी इलाज ले. जिससे समस्या को गंभीर होने से या उसके पार्श्व प्रभाव से बचा जा सके.

इस अवसर पर ब्रेन इंजरी एसोसिएशन ऑफ अमेरिका के अलावा दुनियाभर के न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, न्यूरो साइकियाट्रिस्ट, मनोवैज्ञानिक, स्मृति विशेषज्ञ और पुनर्वास चिकित्सकों द्वारा कई तरह के जागरूकता अभियानों व कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details