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दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे जैकी श्रॉफ, जानिए क्या है एक्टर से जुड़ा पूरा मामला - Jackie Shroff

Jackie Shroff: बॉलीवुड एक्टर जैकी श्रॉफ ने दिल्ली हाईकोर्ट में कई संस्थाओं के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. ये वो संस्था हैं, जो उनके अनुमति के बिना उनके नाम समेत 'बिड़ू' शब्द का इस्तेमाल किया है.

Jackie Shroff File photo
जैकी श्रॉफ का फाइल फोटो (IANS)

By ANI

Published : May 14, 2024, 1:38 PM IST

Updated : May 14, 2024, 1:53 PM IST

नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर जैकी श्रॉफ ने अपने पर्सनल और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनकी सहमति के बिना उनके नाम, फोटो, आवाज और शब्द 'बिड़ू' का उपयोग करने वाली विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है.

इस मुकदमे के माध्यम से, एक्टर जैकी श्रॉफ वादी के नाम, आवाज, फोटो, समानता और वादी के व्यक्तित्व के अन्य सभी तत्वों की रक्षा करने के लिए निर्देश चाहते हैं, जो विशिष्ट हैं और तीसरे पक्ष द्वारा अनधिकृत उपयोग से जनता के बीच भ्रम और धोखा पैदा होने की संभावना है.

न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने मंगलवार (14 मई) को एक्टर के मुकदमे पर समन जारी किया और कहा कि वह अंतरिम आदेश आवेदन पर कल मामले पर विचार करेगी. एक्टर प्रतिवादियों को वादी के नाम 'जैकी श्रॉफ', 'जैकी', 'जग्गू दादा', 'बिड़ू' की आवाज, फोटो और किसी भी अन्य विशेषता का उपयोग करके वादी के व्यक्तित्व अधिकारों और प्रचार अधिकारों का उल्लंघन करने से रोकने के लिए एक स्थायी आदेश चाहता है. किसी भी व्यावसायिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए उसके साथ विशेष रूप से पहचान की जा सकती है.

याचिका में अदालत से प्रतिवादी बिड़ू शवर्मा रेस्तरां और उसके सहयोगियों, नौकरों, एजेंटों, सहयोगी कंपनियों, होल्डिंग कंपनियों और प्रतिनिधियों के खिलाफ एक आदेश की डिक्री पारित करने के लिए कहा गया है, जिसमें व्यापार नाम के हिस्से के रूप में उपयोग करके वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने से रोका जा सके. बिड़ू शवर्मा एंड रेस्तरां' या कोई अन्य व्यापार नाम/व्यापार चिह्न जो भ्रामक रूप से वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क नंबरों के समान है.

उनका मुकदमा कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 38बी के आधार पर वादी को उसके प्रदर्शन में प्रदत्त नैतिक अधिकारों के उल्लंघन से भी संबंधित है. एक अभिनेता के रूप में वादी ने कई सिनेमैटोग्राफिक फिल्मों में अभिनय किया है और इस प्रकार उन्हें अपने प्रदर्शन में नैतिक अधिकार प्राप्त हैं. ऐसी फिल्मों में और किसी तीसरे पक्ष को उसके प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाने या अन्य संशोधन करने से रोकने का अधिकार है जो उसकी प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक हैं.

मुकदमे में कहा गया है कि वादी को ऐसे जीआईएफ के निर्माण और प्रसार से पहले सूचित नहीं किया गया है, न ही उसकी सहमति मांगी गई है या सुरक्षित की गई है. प्रतिवादी, वादी के प्रदर्शन वाले क्लिप को फिर प्रस्तुत करके, और वह भी इस तरह से जो वादी को बदनाम करता है और उसे भद्दे हास्य का विषय बनाता है, अपने प्रदर्शन में उसके नैतिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है.

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Last Updated : May 14, 2024, 1:53 PM IST

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