देश के 421 और MP के 18 विश्वविद्यालयों को UGC ने किया डिफाल्टर, मचा हड़कंप - 421 university defaulter in country
UGC Declared 18 MP Universities Defaulter: UGC के निर्देशों की अवहेलना करना देश के 421 और मध्यप्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों भारी पड़ गया. UGC ने ऐसे सभी विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया है.जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.
देश के 421 और MP के 18 विश्वविद्यालय डिफाल्टर घोषित
रीवा।UGC के निर्देशों की अवहेलना करना देश के 421 और मध्यप्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों भारी पड़ गया. जिसमें प्रदेश के जाने माने विश्वविद्यालयों के साथ ही रीवा का अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का नाम भी शामिल है. UGC ने इन सभी विश्वविद्यालयों को लोकपाल की नियुक्ति करने के निर्देश जारी किए थे लेकिन विश्वविद्यालयों के प्रबंधन के द्वारा लापरवाही बरती गई और लोकपाल की नियुक्तियां नहीं की गई. गंभीर लापरवाही बरतने पर UGC ने 18 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया है. जिसके बाद रीवा APSU विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने सफाई दी है.
देश के सभी विश्वविद्यालयों के कामकाज को देखता है UGC
UGC यानि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन देश भर में संचालित विश्वविद्यालयों के कामकाज और उनके संचालन पर नजर रखता है. हाल ही में 30 दिन के भीतर UGC ने सभी विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति किए जाने के निर्देश जारी किए थे लेकिन अधिकांश विश्वविद्यालयों के प्रबंधन के द्वारा निर्देशों की अवहेलना की गई और 31 दिसंबर 2023 की अंतिम तिथि तक इनके द्वारा लोकपाल की नियुक्तियां नही की गई.
421 विश्वविद्यालय डिफाल्टर घोषित
UGC ने लापरवाही बरतने पर देश भर के 421 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया है. UGC के द्वारा उठाए गए इस कदम की मुख्य वजह यह की इन सभी 421 विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति की जानी थी लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन ने लापरवाही बरतते हुए लोकपाल की नियुक्तियां नहीं की. हालांकि यूजीसी की फटकार के बाद कुछ विश्वविद्यालयों ने लोकपाल भर्ती की प्रक्रिया शुरु कर दी है.
मध्यप्रदेश के भी 18 विश्वविद्यालय शामिल
लोकपाल की नियुक्ति मामले में गंभीर लापरवाही बरती गई जिसके बाद UGC ने मध्य प्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया. इन विश्वविद्यालयों की अनुदान राशि पर कटौती करने की बात भी कही गई. इसके अलावा निर्देश भी दिए गए हैं कि अगर जल्द ही लोकपाल की नियुक्तियां नहीं की जाती हैं तो UGC की ओर इन विश्वविद्यालयों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे. इन 18 विश्वविद्यालयों में प्रदेश की जानी मानी जीवाजी विश्वविद्यालय से लेकर रीवा का अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय भी शामिल है.
UGC द्वारा डिफाल्टर घोषित एमपी के 18 विश्वविद्यालय
1. अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी,रीवा
2. अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय,भोपाल
3. धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी,जबलपुर
4. डॉ बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ़ सोशल साइंस,इंदौर
5. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय,जबलपुर
6. जीवाजी यूनिवर्सिटी,ग्वालियर
7. मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी,जबलपुर
8. महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय,छतरपुर
9. महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय,उज्जैन
10. महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय,चित्रकूट
11. माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन,भोपाल
12. नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय,जबलपुर
13. पंडित एसएन शुक्ल यूनिवर्सिटी,शहडोल
14. राजा मानसिंह तोमर म्यूजिक एंड आर्ट्स यूनिवर्सिटी,ग्वालियर
इस मामले पर अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलसचिव डॉ. सुरेंद्र सिंह परिहार ने बताया की 14 जून 2023 को UGC के निर्देशन पर मध्यप्रदेश शासन का एक पत्र अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ था. जारी पत्र के अनुसार एक माह के अंतराल में लोकपाल विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति की जानी थी. UGC के अनुसार शिकायतों के निराकरण के लिए विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति किए जाने का प्रावधान है. लेकिन इस एक माह के अंतराल में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पहली बार 4 अक्तूबर 2023 को विज्ञापन जारी किया था लेकिन एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुए. लोकपाल पद के लिऐ जो पात्रता शासन ने जारी की थी वह रिटायर्ड प्रोफेसर, रिटायर्ड वॉइस चांसलर, रिटायर्ड डिस्ट्रिक जज की थी. आवेदन प्राप्त नहीं हो सके जिसके चलते निर्धारित तिथि में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पाई.
कुलसचिव ने बताया की इसके बाद शासन की तरफ से विश्वविद्यालय को एक बार फिर लोकपाल की नियुक्ति के लिए पत्र प्राप्त हुआ था.प्रबंधन के द्वारा 18 जनवरी 2024 को दोबारा विज्ञापन जारी किया गया लेकिन इसमें जनवरी माह के पूर्व विधान सभा के चुनावों के कारण देरी हुई. अब अगर विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास आवेदन आते हैं तो लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी. अगर आवेदन पत्र प्राप्त नहीं होते हैं तो शासन को पत्र लिखकर गाइड लाइन की मांग की जाएगी जिसके आधार पर लोकपाल की नियुक्ति की जा सके.