नई दिल्ली : एक फरवरी को बजट पेश होना है और भारत यदि चीन से बेहतर प्रदर्शन चाहता है, तो उसे विनिर्माण के क्षेत्र में अपनी छवि सुधारनी होगी. यदि विनिर्माण क्षेत्र में आने वाली नई कंपनियों के लिए 15 फीसदी की टैक्स व्यवस्था की जाती है, तो विकास की गति को बरकरार रखा जा सकता है. एप्पल और फ़ॉक्सकॉन जैसी कंपनियां भारत में आ चुकी हैं.
इसके साथ भारत को निर्यात बढ़ाने के लिए भी रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा, क्योंकि पिछले कुछ सयम से बदलते भू राजनीतिक तनाव, अमेरिका में मंदी और वैश्विक बाजार में समग्र आर्थिक मंदी जैसे विभिन्न कारणों से आर्थिक प्रगति प्रभावित हुई है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 2025 तक अपने सेक्टर के लिए 300 बि. डॉलर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. यह लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है, जब भारत 120 बि.डॉलर का निर्यात करेगा. यह न सिर्फ मेक इन इंडिया का सपना पूरा करेगा, बल्कि नौकरियों का भी विस्तार करेगा.
ग्रोथ में लगातार बढ़ोतरी के लिए सरकार ने पीएलआई योजना की शुरुआत की है. इसे और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है. उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि इसे डिजाइन और इनोवेशन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना में बदलने से, न केवल उत्पादन क्षमताओं में निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि अनुसंधान और विकास में भी धन लगेगा. यह बदलाव इनोवेशन की संस्कृति को बढ़ावा दे सकता है, और अंततः वैश्विक स्तर पर भारतीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी.
ध्रुव एडवाइजर्स के अधिकारियों का मानना है कि भारत में निरंतर बदलाव को प्रोत्साहित करने और समर्थन करने के लिए बजट में नई विनिर्माण कंपनियों के लिए कम कर दर के प्रावधान को कम से कम 5 और वर्षों के लिए सुनिश्चित किया जाना चाहिए. अगर ऐसा होगा, तभी वैश्विक विनिर्माण कंपनियां भारत की ओर अग्रसर होंगी.