मुंबई:इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 (FY25) के लिए भारतीय राज्यों के वित्त पर न्यूट्रल व्यू पॉइंट बनाए हुए एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें दिखाया गया है. राज्यों का कुल रेवेन्यू डेफिक्ट वित्त वर्ष 2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.4 फीसीद होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2024 में 0.5 फीसदी से कम है.
इसके अतिरिक्त, एजेंसी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए सभी राज्यों का कुल फिस्कल घाटा घटकर सकल घरेलू उत्पाद का 3.1 फीसदी हो जाएगा, जबकि वित्त वर्ष 2024 में संशोधित आंकड़ा 3.2 फीसदी था. रिपोर्ट राजस्व घाटे की रोकथाम पर जोर देती है, जो राज्यों को अधिक राजकोषीय लचीलापन प्रदान करती है, जिससे वे कैपिटल खर्च (कैपेक्स) परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होते हैं.
इंड-रा में सार्वजनिक वित्त की निदेशक अनुराधा बसुमतारी ने पूंजीगत खर्च के लिए अनुकूल परिस्थितियों पर जोर देते हुए कहा कि राजस्व घाटे पर नियंत्रण राज्यों को अधिक राजकोषीय लचीलापन प्रदान करता है, जो पूंजीगत खर्च के लिए अनुकूल है. वित्त वर्ष 2025 में जारी रहने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2024 के लिए राजकोषीय घाटे के पूर्वानुमान में संशोधन का कारण उम्मीद से कम राजस्व प्राप्तियां थीं, जिसका मुख्य कारण केंद्र सरकार से अनुदान में गिरावट थी. इस गिरावट के बावजूद, वित्त वर्ष 2024 में कर राजस्व में तीव्र वृद्धि ने आंशिक रूप से कमी की भरपाई की.
वित्त वर्ष 2015 को देखते हुए, रिपोर्ट में टोटल रेवेन्यू रिसिप्ट में निरंतर वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिसमें साल-दर-साल 9.5 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है. उच्च राजस्व वृद्धि की संभावनाओं को बाधित करता है. रिपोर्ट में 26 राज्यों (अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम को छोड़कर) के बजट का विश्लेषण किया गया, जिसमें वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान की तुलना में वित्त वर्ष 2025 के लिए केंद्र से अनुदान में 7.4 फीसदी की गिरावट का खुलासा हुआ. नतीजतन, इंड-रा को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2015 में राजस्व व्यय 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा, जो राजस्व प्राप्तियों में अनुमानित वृद्धि के अनुरूप है.