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क्या प्राइवेट कर्मचारियों को मिलेगी 9,000 रुपये मासिक पेंशन? करोड़ों प्राइवेट एम्प्लॉयी को होगा फायदा! - EPF Pension

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 6, 2024, 4:56 PM IST

EPF Pension- सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम की मंजूरी के बाद अब निजी क्षेत्रों में पेंशन सुधार मांग जोर पकड़ रहा है. चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हाल ही में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को एक लेटर भेजा, जिसमें न्यूनतम पेंशन को मौजूदा राशि से बढ़ाकर 9,000 रुपये करने का अनुरोध किया गया. पढ़ें पूरी खबर...

EPF Pension
पेंशन (प्रतीकात्मक फोटो) (Getty Image)

नई दिल्ली:निजी क्षेत्र के कर्मचारी सरकार से अपनी पेंशन संबंधी चिंताओं को दूर करने का आग्रह कर रहे हैं. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) योजना लेकर आई है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को 10,000 रुपये तक न्यूतम पेंशन दिया जाएगा. साथ ही अगर वे 25 साल की सर्विस पूरी करने के बाद रिटयर्ड होते है तो उन्हें मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन मिलेगा. वर्तमान में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अंतर्गत आने वाले निजी कर्मचारियों को कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के माध्यम से न्यूनतम पेंशन मिलती है. निजी क्षेत्र के कर्मचारी अपनी मासिक पेंशन में बढ़ोतरी की मागं कर रहे हैं.

चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हाल ही में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को एक लेटर भेजा, जिसमें न्यूनतम पेंशन को मौजूदा राशि से बढ़ाकर 9,000 रुपये करने का अनुरोध किया गया.

ईपीएस योजना वर्तमान में देश भर में लगभग 75 लाख कर्मचारियों को कवर करती है. एसोसिएशन का तर्क है कि जहां 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को नई यूपीएस से लाभ मिलेगा, वहीं ईपीएस 1995 के तहत निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी बढ़े हुए समर्थन के हकदार हैं. चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन चाहता है कि न्यूनतम पेंशन बढ़ोतरी का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठाया जाए.

ईपीएस95 के तहत न्यूनतम पेंशन कितनी तय की गई है?
सितंबर 2014 में, केंद्र सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 1995 के तहत आने वाले पेंशनभोगियों के लिए 1,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की घोषणा की थी. हालांकि, श्रम मंत्रालय ने पिछले साल वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें ईपीएस-95 के तहत पेंशन को दोगुना करके 2,000 रुपये प्रति माह करने की मांग की गई थी. लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी.

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