जगित्याला:कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन की चुनौतियों से हर कोई वाकिफ है. इस दौरान लोगों के जीवन में कई बड़े उतार-चढ़ाव आए. परंतु लोगों ने अपना हौसला नहीं खोया. ऐसे ही एक तेलंगाना के युवक हैं संजय, जिन्होंने सभी बाधाओं को तोड़कर अपने लिए बड़ा मुकाम हासिल किया. संजय जगित्याल जिले के तुंगुर के रहने वाले हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने सभी चुनौतियों का सामना करते हुए केवल दो साल में छह नौकरियां हासिल की. आज वे आम जनमानस में एक आशा की किरण बनकर उभरे हैं. कहते है न कि, अगर हौसले मजबूत और इरादे बुलंद हो तो कठीन से कठीन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. एक छोटे से गांव में रहने वाले बेथपु लक्ष्मी-मल्लैया के बेटे संजय की संघर्ष की गाथा बताती है कि, अगर आपके दिल में कुछ करने का जज्बा है तो संघर्ष पर जीत हासिल करके अपने लिए एक नई दुनिया का निर्माण कर सकते हैं.
संजय के संघर्ष की कहानी
संजय की यात्रा अनिश्चितताओं की बीच शुरू हुई. शुरूआत में उन्हें न तो किसी स्पष्ट दिशा का ज्ञान था और न ही अपने जीवन का उन्होंने कोई लक्ष्य तय किया था. हालांकि, उन्होंने सोचा था कि जीवन में कुछ अच्छा करना है. इसी इरादे से वै शैक्षणिक गतिविधियों की भूल भुलैया से गुजरते हुए अपने भविष्य निर्माण में जुट गए. इसी बीच कोरोना महामारी की दस्तक हुई और उन्हें घर वापस आने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस दौरान भी संजय ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपना समय बर्बाद करने के बजाय, दोस्तों की मदद से उन्होंने अपनी पूरी उर्जा कठीन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों पर फोकस किया.
युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने संजय
कोरोना काल युवा संजय के लिए किसी कठोर परीक्षा से कम नहीं था. उन्होंने इस दौरान काफी परिश्रम किया. फिर क्या था, उनकी मेहनत रंग लाई. बात साल 2022 की थी जब उन्होंने रेलवे ग्रुप डी परीक्षा पास कर पहली नौकरी रेलवे में हासिल की. हालांकि, उनका मन इससे भी नहीं भरा, क्योंकि उन्होंने तो पूरे आसमान पर जीत की ख्वाहिश की थी. इसलिए उन्होंने अपनी पहली सफलता से प्रभावित हुए बिना लगातार अवसरों का पीछा किया. यहां भी उनकी मेहनत रंग लाई. उन्होंने 2023 में तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग (टीएसपीएससी) द्वारा आयोजित कांस्टेबल (आबकारी) ,टाउन प्लानिंग बिल्डिंग ऑफिसर ग्रुप-4 एईई (सिविल) और एई सहित अलग-अलग विभागों में पद हासिल किए. संजय की सफलता की कहानी ग्रामीण युवाओं के अंदर की प्रतिभा का पहचान कराती है. उनके दोस्त, किरणकुमार दूसरों को प्रेरित करने के लिए संजय की सफलता की कहानी सुनाते हैं. वे आने वाले भविष्य को बताते हैं कि, कैसे संजय ने विकट समय में संघर्ष को ही अपना हथियार बना लिया. एक दृढ़ संकल्प युवा चाहे तो दुनिया पर भी जीत हासिल कर सकता है.
सपना देखना न छोड़े
वर्तमान में संजय निजामाबाद में एक्साइज कांस्टेबल पद के लिए अपना प्रशिक्षण जारी रखा है. वे आज भी अपनी आकांक्षाओं की लौ को कम नहीं होने दिया है. उन्होंने सिविल सेवाओं के लिए प्रतिस्पर्धा सहित आगे के प्रयासों को जारी रखने के अपने नेक इरादे व्यक्त किए हैं. संजय की कहानी उन करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, जिन्होंने जीवन में कुछ कर गुजरने की चाहत रखते हैं. संजय को देखकर लगता है कि, कोई भी सपना पहुंच से परे नहीं है.
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