तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने सोमवार को एक बार फिर राज्य का नाम बदलने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया. विधानसभा ने केरल का नाम बदलकर 'केरलम' करने के लिए यह प्रस्ताव पारित किया है. इससे पहले विधानसभा ने 2023 में भी राज्य का नाम बदलने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन उसे केंद्र की मंजूरी नहीं मिली थी.
गौरतलब है कि 1920 में ऐक्य केरल आंदोलन ने मलयालम बोलने वालों के लिए भाषा के आधार पर एक अलग राज्य की मांग की थी. वहीं, 1956 में मलयालम बोलने वालों के लिए एक राज्य का गठन किया गया. राज्य का मूल नाम उसकी भाषा में केरलम था. हालांकि, संविधान की आठवीं अनुसूची में इसे बदलकर केरल कर दिया.
केरलम शब्द का इतिहास
'केरलम' शब्द का इतिहास कई सिद्धांतों से जुड़ा हुआ है. कुछ लोग इसे 'चेरा' राजवंश से जुड़ा हुआ मानते हैं, उनका कहना है कि यह शब्द 'चेरा-आलम' यानी चेरों की भूमि से बदलकर 'केरा-आलम' हो गया, जैसा कि पीएस सचिनदेव की पुस्तक कल्चर एंड मीडिया: इकोक्रिटिकल एक्सप्लोरेशन में बताया गया है. पुस्तक में यह भी अनुमान लगाया गया है कि इस शब्द का अर्थ नारियल की भूमि - 'केरा-आलम' हो सकता है, जहां केरा नारियल के लिए एक स्थानीय शब्द है.
कैसे बना केरल राज्य
जिस समय चेरा राजवंश ने वर्तमान केरल और तमिलनाडु पर शासन किया, उस समय तमिल से अलग होकर मलयालम भाषा विकसित हुई और कई क्षेत्रीय भाषाओं के साथ इसका मेल हुआ. इस प्रकार मलयालम भाषी समुदायों ने अपने सांस्कृतिक और भाषाई बंधन बनाए, जिसके परिणामस्वरूप केरल राज्य का निर्माण हुआ.