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केरल का नाम क्यों नाम बदलना चाहते हैं राजनेता? विधानसभा से कई बार पास हो चुका है प्रस्ताव - Kerala Assembly Changing State Name

Kerala Assembly Changing State Name: केरल विधानसभा ने सोमवार को एक बार फिर राज्य का नाम बदलने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया. वर्तमान प्रस्ताव पर केंद्र की मंजूरी का इंतजार है. इससे पहले 2023 में भी इस प्रस्ताव को पारित किया गया था. हालांकि, उसे भी केंद्र की मंजूरी नहीं मिली थी.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 25, 2024, 2:50 PM IST

Published : Jun 25, 2024, 2:50 PM IST

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केरल का नाम क्यों नाम बदलना चाहते हैं राज्य के राजनेता? (ETV Bharat)

तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने सोमवार को एक बार फिर राज्य का नाम बदलने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया. विधानसभा ने केरल का नाम बदलकर 'केरलम' करने के लिए यह प्रस्ताव पारित किया है. इससे पहले विधानसभा ने 2023 में भी राज्य का नाम बदलने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन उसे केंद्र की मंजूरी नहीं मिली थी.

गौरतलब है कि 1920 में ऐक्य केरल आंदोलन ने मलयालम बोलने वालों के लिए भाषा के आधार पर एक अलग राज्य की मांग की थी. वहीं, 1956 में मलयालम बोलने वालों के लिए एक राज्य का गठन किया गया. राज्य का मूल नाम उसकी भाषा में केरलम था. हालांकि, संविधान की आठवीं अनुसूची में इसे बदलकर केरल कर दिया.

केरलम शब्द का इतिहास
'केरलम' शब्द का इतिहास कई सिद्धांतों से जुड़ा हुआ है. कुछ लोग इसे 'चेरा' राजवंश से जुड़ा हुआ मानते हैं, उनका कहना है कि यह शब्द 'चेरा-आलम' यानी चेरों की भूमि से बदलकर 'केरा-आलम' हो गया, जैसा कि पीएस सचिनदेव की पुस्तक कल्चर एंड मीडिया: इकोक्रिटिकल एक्सप्लोरेशन में बताया गया है. पुस्तक में यह भी अनुमान लगाया गया है कि इस शब्द का अर्थ नारियल की भूमि - 'केरा-आलम' हो सकता है, जहां केरा नारियल के लिए एक स्थानीय शब्द है.

कैसे बना केरल राज्य
जिस समय चेरा राजवंश ने वर्तमान केरल और तमिलनाडु पर शासन किया, उस समय तमिल से अलग होकर मलयालम भाषा विकसित हुई और कई क्षेत्रीय भाषाओं के साथ इसका मेल हुआ. इस प्रकार मलयालम भाषी समुदायों ने अपने सांस्कृतिक और भाषाई बंधन बनाए, जिसके परिणामस्वरूप केरल राज्य का निर्माण हुआ.

लंबे समय से हो रही नाम बदलने की मांग
वर्तमान प्रस्ताव अब एक बार फिर केंद्र की मंजूरी का इंतजार कर रहा है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं और सभी आधिकारिक अभिलेखों में राज्य का नाम बदला जाना चाहिए. नाम बदलने की मांग लंबे समय से चल रही है. 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्युतांदन ने कई अन्य विधायकों के साथ इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन प्रस्ताव पारित नहीं हो सका.

नाम बदलने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी
बता दें कि राज्य का नाम में बदलाव करने के लिए संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है और यह एक कठिन प्रक्रिया है. 2011 में, उड़ीसा (नाम परिवर्तन) विधेयक, 2010 के तहत उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया था. वहीं, पश्चिम बंगाल ने भी 2011 और 2016 में राज्य का नाम बदलकर 'पश्चिम बंग' करने की कोशिश की थी, लेकिन 2020 में केंद्र ने इसे ठुकरा दिया.

केरलम कहना उचित
राज्य को मलयालम में 'केरलम' कहे जाने की मांग को न केवल सत्ताधारी पार्टी बल्कि विपक्ष के सदस्यों का भी समर्थन मिला है. एएनआई के अनुसार, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद ईटी मुहम्मद बशीर ने कहा है कि केरल के बजाय राज्य का नाम केरलम ही बेहतर है यही उचित शब्दावली है.

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