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कौन हैं वो ब्राह्मण जिन्होंने पीएम मोदी के नामांकन का निकाला शुभ मुहूर्त, प्रस्तावक भी बने - PM Modi Nomination

प्रधानमंत्री मोदी अपने नामांकन प्रक्रिया के वक्त एक दाढ़ी वाले बुजुर्ग ब्राह्मण से बातचीत करते नजर आ रहे हैं. यहां तक कि वह ब्राह्मण पूरे वक्त प्रधानमंत्री मोदी के बगल में ही बैठे रहे और पीएम मोदी भी उन्हें सम्मान के साथ अपने साथ बैठ कर बातचीत करते नजर आए. आखिर कौन है यह शख्स और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतनी आत्मीयता से उनसे क्यों कर रहे थे बात जानिए?

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नामांकन के समय गणेश शास्त्री द्रविड़ से बात करते पीएम मोदी (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 2:01 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपना नामांकन तीसरी बार वाराणसी से दाखिल किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आस्था और धर्म के प्रति बहुत सजग हैं. प्रधानमंत्री ने इस बार अपने नामांकन के लिए जिन प्रस्तावकों को चुना था उन चार में से एक हैं प्रख्यात ज्योतिषाचार्य और अंकगणित के जानकारी गणेश्वर शास्त्री द्रविड़.

ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ही वह शख्स हैं जिन्होंने अयोध्या में रामलला के मंदिर के भूमि पूजन और शिला पूजन के साथ ही राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के मुहूर्त को भी निकाला था. गणेश शास्त्री द्रविड़ पीएम मोदी के नामांकन के दौरान पूरे वक्त प्रधानमंत्री के बगल में ही नजर आए.

प्रधानमंत्री ने आज दोपहर 11:55 पर अपना नामांकन दाखिल किया है. यह मुहूर्त भी गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला था. ज्योतिष और वेद वेदांग की दुनिया में वाराणसी के गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का काफी नाम है.

जगतगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार से सम्मानित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का परिवार काफी लंबे वक्त से काशी में ही निवास कर रहा है. मूल रूप से दक्षिण भारत के रहने वाले गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ रामघाट इलाके में गंगा किनारे एक संस्कृत विद्यालय में ही रहते हैं.

यह विद्यालय भी उनके परदादा के द्वारा बनवाया गया है. शास्त्री के साथ उनके भाई पंडित विशेश्वर शास्त्री भी रहते हैं वह भी विद्वान है. गणेश्वर शास्त्री ग्रह नक्षत्र चौघड़िया के साथ ज्योतिष के बड़े जानकारी हैं बड़े-बड़े मुहूर्त उनके द्वारा ही निकल जाते हैं.

आचार्य गणेश्वर शास्त्री का जन्म काशी के रामनगर में 9 दिसंबर 1958 को हुआ था. रामघाट स्थित सॉन्ग वेद विद्यालय में वह बच्चों को संस्कृत की शिक्षा देते हैं. आचार्य राजेश्वर शास्त्री द्रविड़ उनके पिता थे और उन्हें पंडित राज की उपाधि के साथ ही प्रमुख नागरिक सम्मान पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका था.

आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ काशी में एक अनुच्छेद रूप में देखे जाते हैं. क्योंकि वह हर वक्त नंगे पांव चलते हैं और कठिन नियमों का पालन करते हुए आज भी पुरातन संस्कृति के अनुसार ही जीवन यापन करते हैं. आज भी गणेश शास्त्री द्रविड़ के पास न कोई मोबाइल फोन है ना ही वह डिजिटल दुनिया से कनेक्ट रहते हैं.

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