नई दिल्ली: भारतीय कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIC) एक बहुआयामी सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसे संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. ईएसआईसी योजना को कर्मचारी राज्य बीमा निगम नामक एक वैधानिक कॉर्पोरेट बॉडी प्रशासित करती है.
यह कर्मचारियों बीमारी, मैटरनिटी और विकलांगता के दौरान बीमित कर्मचारियों और उनके परिवारों को मेडिकल केयर प्रदान करता है. देशभर में ईएसआईसी के 150 से ज्यादा अस्पताल हैं, जहां सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों तक के इलाज होता है.
ईएसआई के लिए कौन पात्र है?
ESI के तहत उन कर्मचारियों को कवरेज मिलता है, जिनका मासिक वेतन सीमा 21,000 रुपये प्रति माह है.दिव्यांग कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 25000 रूपए रखी गई है. पात्र कर्मचारियों को ईएसआईसी कार्यक्रम में नामांकित करना नियोक्ता की जिम्मेदारी होती है.
योगदान कैसे किया जाता है?
ईएसआई योजना एक सेल्फ-फंडिंग प्रोग्राम है. इसके लिए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों योगदान करते हैं. इसमें कर्मचारी की तरफ से सैलरी का 1.75 फीसदी और नियोक्ता की ओर से कर्मचारी की सैलरी के 4.75 प्रतिशत के बराबर कॉन्ट्रिब्यूशन किया जाता है.
नौकरी बदलने पर नहीं बदलता बीमा नंबर
इस योजना की एक और उल्लेखनीय विशेषता यह है कि जब तक कर्मचारी ईएसआईसी वेतन सीमा के भीतर रहता है, तब तक उसका बीमा नंबर वही रहता है. नौकरी बदलने से कर्मचारी की बीमा स्थिति प्रभावित नहीं होगी और उसका बीमा नंबर वही रहेगा.
क्या नियोक्ता के लिए योजना के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है?
अधिनियम की धारा 2ए और विनियमन 10-बी के तहत, नियोक्ता की यह कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अपने कारखाने/प्रतिष्ठान को ईएसआई अधिनियम के तहत 15 दिनों के भीतर रजिस्टर कराए. अधिनियम की धारा 46 में छह सामाजिक सुरक्षा लाभों की परिकल्पना की गई है. हालांकि, इन लाभों को प्राप्त करने के लिए कुछ शर्तें हैं.
ESI के फायदे?
ESI के तहत जैसे ही कोई बीमित व्यक्ति बीमा योग्य रोजगार शुरू करता है उसे और उसके परिवार को पूरी चिकित्सा देखभाल मिलती ह. इसकी कोई सीमा नहीं है कि कोई बीमित व्यक्ति या उसका परिवार इलाज पर कितना खर्च कर सकता है. इसमें 120 प्रति महीना रुपये के मामूली वार्षिक प्रीमियम के भुगतान पर रिटायर और स्थायी रूप से विकलांग कवर किए गए व्यक्तियों और उनके जीवनसाथी को भी चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाती है.
इतना ही नहीं हर साल अधिकतम 91 दिनों के लिए प्रमाणित बीमारी की अवधि के दौरान, बीमित कर्मचारी वेतन के 70 प्रतिशत की दर से नकद मुआवजा मिलता है. बीमारी लाभ के लिए पात्र बनने के लिए, बीमित कर्मचारी को 6 महीने की अवधि के दौरान 78 दिनों के लिए कॉन्ट्रिब्यूशन करना होगा.
मैटेरनिटी लाभ
इसके तहत प्रसव/गर्भावस्था के दौरान 26 हफ्ते के लिए के लिए मौटेरनिटी लीव भी मिलती है, जिसमें चिकित्सा सलाह पर एक महीने का विस्तार शामिल है. वहीं, बीमा योग्य रोजगार में प्रवेश करने के पहले दिन से और रोजगार की चोट के मामले में किसी भी योगदान का भुगतान किए बिना, जब तक विकलांगता जारी रहती है, तब तक वेतन के 90 प्रतिशत की दर से अस्थायी विकलांगता लाभ मिलता है.
आश्रितों को मिलने वाले लाभ
अगर किसी कर्मी की काम के दौरान मौत हो जाती है तो मृतक बीमित व्यक्ति के आश्रितों को वेतन के 90 प्रतिशत की दर से मासिक भुगतान किया जाता है. इसके अलावा उसके अंतिम संस्कार के लिए आश्रितों या अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति को 15,000 रुपये की राशि दी जाती है.
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