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क्या है निर्वासन और दूसरे देशों के लोगों को निर्वासित क्यों कर रहा अमेरिका? जानें - WHAT IS DEPORTATION

वीजा स्टेट्स का उल्लंघन, आपराधिक गतिविधि, या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने जैसे कारणों से लोगों को निर्वासित किया जा सकता है.

What is deportation
अमेरिका से निर्वासित लोगों को लेकर आया सैन्य विमान (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 6, 2025, 7:08 PM IST

हैदराबाद: अमेरिका ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 104 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया है. निर्वासित भारतीय बुधवार को सैन्य विमान से अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की सख्त आव्रजन नीतियों के तहत भारतीय प्रवासियों के निर्वासन का यह पहला जत्था था.

निर्वासित व्यक्तियों में 33 हरियाणा, 33 गुजरात, 30 पंजाब, 3 महाराष्ट्र, 3 उत्तर प्रदेश और 2 चंडीगढ़ के थे. समूह में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल थे, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच और सात साल की दो लड़कियां शामिल थीं. यह निर्वासन अवैध आव्रजन से निपटने के बारे में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हाल ही में हुई बातचीत के बाद हुआ है, जो पिछले महीने ट्रंप के पदभार संभालने के बाद से एक प्रमुख मुद्दा बन गया है.

गौरतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहले भी पूर्ववर्ती प्रशासनों के तहत भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया है, लेकिन यह पहली बार है कि इस तरह के ऑपरेशन के लिए सैन्य विमान का उपयोग किया गया है.

निर्वासन क्या है और अमेरिका से किसे निर्वासित किया जाता है?
निर्वासन से मतलब आव्रजन कानून के उल्लंघन के कारण अमेरिका से किसी गैर-नागरिक को निकालने की प्रक्रिया से है. अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) एजेंसी निर्वासन प्रक्रिया की देखरेख करती है. निर्वासन कई कारणों से हो सकता है. इसमें वीजा स्टेट्स का उल्लंघन, आपराधिक गतिविधि, या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना शामिल हैं.

कई वर्षों से अमेरिका से निर्वासन तनाव का विषय रहा है. नॉन-सिटिजन जो आव्रजन कानूनों का उल्लंघन करते हैं या अपने वीजा की अवधि से अधिक समय तक रहते हैं, उन्हें निकाले जाने की संभावना का सामना करना पड़ता है. इनमें से किसी भी कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को पहले हिरासत में लिया जाता है और हिरासत केंद्र ले जाया जाता है.

वे तब तक वहां रहते हैं जब तक उन्हें आव्रजन न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया जाता. फिर न्यायालय समीक्षा करता है कि क्या आप्रवासी शरण चाहता है और परिस्थितियों के आधार पर निष्कासन का आदेश देता है. कुछ मामलों में नॉन- सिटिजन स्वैच्छिक प्रस्थान का विकल्प चुन सकते हैं, लेकिन जब कोई व्यक्ति एंट्री आवश्यकताओं का उल्लंघन करता है या धोखाधड़ी वाले दस्तावेजों का उपयोग करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसका त्वरित निष्कासन होता है.

निर्वासन प्रक्रिया
आमतौर पर जब अप्रवासियों को अमेरिकी आव्रजन कानूनों का उल्लंघन करने के लिए हिरासत में लिया जाता है, तो उन्हें हिरासत केंद्र में ले जाया जाता है. उन्हें तब तक हिरासत में रखा जा सकता है जब तक कि उनके मामले की अदालत में समीक्षा नहीं हो जाती और जज यह निर्धारित नहीं कर लेते कि वे अमेरिका में रहने के योग्य हैं या नहीं या उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए.

हालांकि, कुछ मामलों में अदालत की सुनवाई के बिना त्वरित निष्कासन हो जाता है, खासकर जब अप्रवासी उचित दस्तावेज के बिना आते हैं या अन्य प्रवेश आवश्यकताओं का उल्लंघन करते हैं.

निष्कासन आदेश जारी होने के बाद ज्यादातर निर्वासन हवाई मार्ग से किए जाते हैं. हालांकि कुछ में हवाई और जमीनी परिवहन का भी इस्तेमाल हो सकता है. अमेरिकी सरकार निर्वासन की लागत को वहन करती है, जिसमें निर्वासित व्यक्तियों को आम तौर पर उनके गृह देशों में वापस भेज दिया जाता है.

अमेरिका-भारत संबंधों पर प्रभाव
इन 104 व्यक्तियों का निर्वासन ट्रंप प्रशासन द्वारा अवैध आव्रजन पर कार्रवाई के बाद से पहला ऐसा हाई-प्रोफाइल कदम है, जबकि यह अमेरिका की आव्रजन नीति में एक महत्वपूर्ण कदम है, यह प्रवासन मुद्दों पर भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती कूटनीतिक चर्चाओं के बीच भी आया है.

चूंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है, इसलिए दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं, खासकर एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर.भारत कोशिश कर रहा है कि वह अपने अपने स्किल वर्कर्स के लिए अमेरिकी वीजा हासिल करना आसान बनाए, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत किया जा सके.

ऐसे में अगले सप्ताह जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे, तो दोनों पक्षों द्वारा प्रवासन संबंधी चिंताओं पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है. बैठक में आव्रजन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने पर चर्चा शामिल होने की उम्मीद है, खासकर अमेरिका में काम करने के इच्छुक भारतीय पेशेवरों के लिए.

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