कोलकाता:पश्चिम बंगाल विधानसभा ने पिछले महीने राज्य द्वारा संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ रेप-मर्डर की घटना के मद्देनजर सोमवार को बुलाए गए दो दिवसीय विशेष सत्र के दौरान आज सर्वसम्मति से 'अपराजिता' महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया.
विपक्षी भाजपा ने विधेयक को पूर्ण समर्थन दिया, लेकिन विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा पेश किए गए संशोधनों को सदन ने स्वीकार नहीं किया. विधेयक के पक्ष में बोलते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज विधेयक को 'आदर्श एवं ऐतिहासिक' करार दिया.
पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर संग रेप-मर्डर केस को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है. आज मंगलवार को भी कोलकाता में जूनियर डॉक्टर लालबाजार इलाके में धरना स्थल पर बैठे हैं. ये लोग 9 अगस्त को हुई घटना के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिवसीय विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया. इस विशेष सत्र के दूसरे दिन आज एंटी रेप बिल पेश किया गया. इस बिल में रेप के दोषी को 10 दिनों के भीतर मौत की सजा देने का प्रावधान है. इसके अलावा इसमें रेप और गैंगरेप के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा का भी प्रस्ताव है.
ममता बनर्जी ने कहा कि अगर राजभवन से इस विधेयक को पास नहीं किया गया तो वह विरोध-प्रदर्शन करेंगी. जानकारी के मुताबिक 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024' नाम से पेश इस विधेयक का उद्देश्य रेप और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को पेश करके महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करना है. बता दें, राज्य के कानून मंत्री मलय घटक सदन में इस विधेयक को पेश किया.
ममता ने विधानसभा को बताया, "इस विधेयक के माध्यम से हमने भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में मौजूद कमियों को दूर करने और खामियों को दूर करने का प्रयास किया है. बलात्कार के खिलाफ इस विधेयक का उद्देश्य त्वरित जांच, त्वरित न्याय और बढ़ी हुई सजा है."
बलात्कार और सामूहिक बलात्कार को जघन्य अपराध बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "बलात्कार मानवता के खिलाफ अभिशाप है और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधार जरूरी हैं. इसके साथ ही, हमें कुछ बहुत मजबूत कानूनों की जरूरत है जो ऐसे अपराधों में शामिल लोगों के लिए वास्तविक निवारक के रूप में काम करेंगे, जो हमारे सिर को शर्म और घृणा से नीचे झुकाते हैं." ममता ने दावा किया कि बीएनएस पारित करने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार से विस्तार से परामर्श किया गया था, "हम केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद एक सुनियोजित परामर्श और चर्चा चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ."
उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान या गुजरात जैसे राज्य हैं जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध बहुत अधिक हैं. पश्चिम बंगाल में हमने हमेशा महिलाओं को न्याय सुनिश्चित करने की कोशिश की है।" महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावी कानूनों को लागू करने में विफलता के लिए प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग करते हुए, ममता ने विधानसभा को बताया कि विपक्षी भाजपा को अब राज्यपाल से अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन) विधेयक को अपनी मंजूरी देने के लिए कहना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा, "हर कोई आरजी कर पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहा है. हम भी यही कर रहे हैं. हम मामले की जांच कर रही सीबीआई से न्याय चाहते हैं। हम चाहते हैं कि अपराधियों को फांसी की सजा दी जाए।" इससे पहले दिन में राज्य के कानून मंत्री मोलॉय घटक ने विधानसभा में विधेयक पेश किया और विधेयक के समर्थन में बोलते हुए राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोभनदेव चटर्जी ने कहा कि इसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल राज्य में लागू होने वाले भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो अधिनियम) में संशोधन करना है, ताकि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के जघन्य कृत्य की त्वरित जांच और सुनवाई के लिए रूपरेखा तैयार की जा सके। विधानसभा में पारित किए गए इस कानून में बलात्कार के दोषी व्यक्तियों के लिए मृत्युदंड की मांग की गई है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत अवस्था में चली जाती है. इसके अलावा, इसमें बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के दोषियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास का प्रावधान है.