फरीदाबाद:हरियाणा के फरीदाबाद में सूरजकुंड मेले में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है. जहां विश्वभर से हस्तशिल्प कलाकार पहुंचे हैं और मेले में लगी तमाम स्टॉल्स के पास काफी भीड़ भी नजर आती है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक्सपेंसिव चीजें भी स्टॉल्स पर कम दाम में मिल जाती है. हस्तशिल्प कलाकारों द्वारा लगाई गई स्टॉल्स पर खास चीजें मिल रही हैं. अक्सर आपने भेड़ और याक के बालों से बने शॉल और दुपट्टे तथा गर्म वस्त्रों के बारे में सुना होगा. लेकिन सूरजकुंड मेले में अलग जर्मन खरगोश के बालों से भी वस्त्र तैयार किये जाते हैं.
खरगोश के बालों से तैयार हुए वस्त्र:इंटरनेशनल सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में माउंट आबू राजस्थान से आए जितेंद्र ने सूरजकुंड मेले में स्टॉल लगा रखा है. इस स्टॉल की खास बात ये है कि यहां खरगोश के बालों से तैयार किए कई तरह के वस्त्र मिल रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में जितेंद्र ने बताया कि वह एक सफल इंजीनियर थे, लेकिन उन्हें कुछ अलग करना था और यही वजह है कि उन्होंने अलग ही नहीं बल्कि खास करने के लिए एक रिसर्च की और साल 2007 में अपना काम शुरू किया.
खरगोश का रखा जाता है खास ख्याल: जितेंद्र 2007 से ही जर्मन खरगोश के बालों से गर्म कपड़े तैयार करने में लग गए. इसके लिए उन्होंने एक यूनिट लगाया और एक्सपोर्ट की निगरानी में जर्मन खरगोश के बालों से वस्त्र तैयार करने लगे. जितेंद्र बताते हैं 'कि उनके पास अभी 80 जर्मन खरगोश हैं. जिन्हें वह टेंपरेचर के मुताबिक रखते हैं. उन्होंने बताया कि एक्सपर्ट के सामने दो महीने में एक बार खरगोश का हेयर कट किया जाता है. जिसके बाद बालों को अच्छी तरह से धोया जाता है और पशु चिकित्सक की निगरानी में प्लाज्मा ट्रीटमेंट होता है. जिसमें पता लगाया जाता है कि खरगोश को कोई संक्रमण तो नहीं है'.
एक खरगोश के बालों से बन जाती है एक शॉल:जितेंद्र बताते हैं कि 'ये सारा प्रोसेस करने के बाद खरगोश के बालों का धागा तैयार किया जाता है. जिससे शॉल, जैकेट, स्वेटर समेत कई तरह के गर्म कपड़े तैयार किये जाते हैं. खास बात ये है कि इन कपड़ों का वजह भी काफी कम होता है. उन्होंने बताया कि एक शॉल का वजन 180 ग्राम होता है. जबकि जैकेट का 300 ग्राम होता है. वहीं, दुपट्टे का वजन केवल 250 ग्राम होता है. इन्हें केवल खरगोश के बालों के साथ ही तैयार किया जाता है. किसी तरह की मिलावट इन धागों में नहीं की जाती'.