अमरावती: आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक 52 वर्षीय व्यक्ति, जो पिछले दो-तीन सालों से डेन्चर का यूज कर रहा था. वह सोते समय गलती से अपना डेन्चर निगल गया, जिसके चलते उसे एक अजीब और गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा. जानकारी के मुताबिक डेन्चर उसके दाहिने फेफड़े में फंस गया था.
हैरान करने वाली बात यह है कि मरीज को सांस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी, क्योंकि उसका बायां फेफड़ा ठीक से काम कर रहा था. हालांकि, समय गुजरने के साथ-साथ उसे खांसी की समस्या होने लगी. समस्या बढ़ने पर वह किम्स आइकन अस्पताल पहुंचा.
दाहिने फेफड़े में फंसा डेन्चर
अस्पताल पहुंचे पर उसके एक्स-रे और CT स्कैन किए गए, जिससे पता चला कि उसके दाहिने फेफड़े में डेन्चर फंसा हुआ है. अस्पताल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ सीएच भरत ने बताया कि सामान्य एनेस्थीसिया के तहत रिजिड ब्रोंकोस्कोप का उपयोग करके डेन्चर सावधानीपूर्वक हटाया गया.
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में सटीकता की आवश्यकता थी, क्योंकि डेन्चर में धातु के मेटल लगे थे और डॉक्टरों को फेफड़ों या वायुमार्ग को चोट पहुंचाने से बचना था, जिससे गंभीर रक्तस्राव हो सकता था. हालांकि वह डेन्चर को सफलतापूर्वक निकालने में सफल रहे.
ब्रोंकोस्कोप की उपयोगिता पर जोर
इस बीच डॉ. भरत ने रेसपिरेटरी से बड़ी, घुमावदार या नाजुक वस्तुओं को हटाने के लिए कठोर ब्रोंकोस्कोप की उपयोगिता पर जोर दिया. उन्होंने ने डेन्चर वाले व्यक्तियों के लिए नियमित दंत जांच के महत्व पर भी प्रकाश डाला और उन्हें सलाह दी कि ऐसे इंप्लांट समय के साथ खराब हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर उन्हें निगल लिया जाए या अनदेखा कर दिया जाए तो इससे संभावित रूप से जटिलताएं हो सकती हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि फेफड़ों में मेटल वस्तुओं के लंबे समय तक रहने से मांसपेशियों की वृद्धि और संक्रमण हो सकता है.
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