नई दिल्ली : कर्नाटक सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्र और राज्य के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए. विभिन्न राज्य सरकारें उससे संपर्क कर रही हैं, जिसमें सूखे की गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्र को सूखा राहत के लिए 35,162 करोड़ रुपये जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
शुरुआत में, केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार को याचिका दायर करने की कोई आवश्यकता नहीं है. किसी स्तर पर समस्या का समाधान किया जा सकता था. न्यायमूर्ति बी आर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने सवाल किया कि ये संचार समस्या का समाधान चाहते हैं? न्यायमूर्ति गवई ने मेहता से कहा कि अदालत देख रही है कि विभिन्न राज्य सरकारें अदालत का रुख कर रही हैं.
मेहता ने जवाब दिया कि वह यह नहीं बताना चाहते कि ऐसा क्यों है. पीठ ने मेहता से कहा कि 'एक प्रवृत्ति बढ़ रही है, उसे उम्मीद है कि उनके हस्तक्षेप से यह रुक जायेगा. मेहता ने अदालत से इस मामले पर दो सप्ताह बाद विचार करने का आग्रह किया. कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून के तहत मामले का फैसला एक महीने के भीतर किया जाना चाहिए था. वह महीना दिसंबर 2023 में खत्म हो गया.
मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने कर्नाटक सरकार की याचिका पर नोटिस जारी करने का फैसला किया. हालांकि, मेहता ने अदालत से इस मामले में नोटिस जारी नहीं करने का आग्रह किया और कहा कि हम यहां हैं. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि हम वापस आएंगे और इस बारे में जानकारी देंगे.