शिमला: देश में आम चुनाव से ऐन पहले पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता बिल पारित कर दिया है. विधानसभा में लंबी बहस के बाद ये बिल पारित हो गया है. इसी के साथ देश के अन्य राज्यों में भी इस बिल के संदर्भ में चर्चा होने लगी है. उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल में भी इस बिल की वकालत हो चुकी है. हिमाचल में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में यूसीसी लाने का वादा किया था.
भाजपा का चुनाव घोषणा पत्र, जिसे संकल्प पत्र 2022 का नाम दिया गया था, उसमें यूसीसी लागू करने का वादा पहले नंबर पर था. शीर्ष संकल्प के तहत पहले नंबर पर दर्ज की गई आइटम में कहा गया था कि भाजपा सरकार हिमाचल में समान नागरिक संहिता लागू करेगी. हालांकि भाजपा विधानसभा चुनाव हार गई और प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई. कांग्रेस ने न तो ऐसा कोई वादा किया था और न ही कांग्रेस सरकार ने इस विषय पर कोई बयान दिया है.
जयराम ठाकुर कर चुके हैं वकालत: पूर्व में भाजपा सरकार के समय तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने इस बिल को जरूरी बताया था. उन्होंने कुछ अवसरों पर यूसीसी लागू करने की तैयारी को लेकर मीडिया में बात भी की थी. जयराम ठाकुर ने तब कहा था कि हिमाचल में इस कानून के आने से मुस्लिम समाज की महिलाओं को सम्मान मिलेगा. ये कानून विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं के लिए सम्मान का विषय होगा. खैर, इस समय हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का इस विषय पर अभी आधिकारिक स्टैंड सामने नहीं आया है. वैसे यूसीसी मूल रूप से भाजपा का विचार है. भाजपा के एजेंडे में यूसीसी शामिल रहा है.
उत्तराखंड ने की पहल: सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर पहल की और ये देश का पहला राज्य बन गया, जहां समान नागरिक संहिता की तरफ निर्णायक कदम बढ़ाया गया है. सत्ता में वापसी के बाद सीएम पद पर आसीन हुए पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी. विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस ने यूसीसी की जरूरत पर तो कोई खास विरोध नहीं किया, लेकिन ये जरूर कहा कि इसे लाने में जल्दबाजी की गई. यूसीसी के आने से लिव इन रिलेशन में रह रहे युवाओं को पंजीकरण करना होगा. पति अथवा पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना भी गैर कानूनी होगा. कांग्रेस विधायक बेशक इस विधेयक को जल्दबाजी में लाने की बात कह रहे हों, लेकिन यूसीसी पर उत्तराखंड सरकार ने जो विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, उस कमेटी को दो लाख से अधिक सुझाव मिले थे.