नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ धार्मिक समारोहों में बार-बार होने वाली त्रासदी को उजागर करती है. ऐतिहासिक डेटा बताते हैं कि इससे पहले भी भीड़भाड़ वाले धार्मिक उत्सवों में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. पिछली घटनाओं में मंदिरों में, समारोहों के दौरान और बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के जमावड़े के दौरान हुए भगदड़ शामिल हैं.
इस घटना से कुछ दिन पहले ही जनवरी 2025 में, आंध्र प्रदेश के तरुमला मंदिर में भगदड़ में छह लोग मारे गए. इससे पहले जुलाई 2024 में उत्तर प्रदेश में एक बाबा को देखने के लिए उमड़ी भीड़ में भगदड़ मचने से 121 लोगों की जान चली गई. आंकड़ों को देखें तो कहा जा सकता है कि धार्मिक स्थलों पर भगदड़ होना दुखद रूप से आम बात है.
25 जनवरी, 2005 को भारत के मुंबई से लगभग 250 किलोमीटर दक्षिण में वाई गांव में एक मंदिर में आग लगने के बाद का दृश्य. (फाइल फोटो) (AP)
3 जुलाई, 2024 को लखनऊ से लगभग 350 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में हाथरस जिले के फुलराई गांव में एक भगदड़ के बाद का दृश्य. (फाइल फोटो) (AP)
साल 2022 में वैष्णो देवी में हुए भगदड़ में 12 लोग मारे गए और 2013 में मध्य प्रदेश में एक उत्सव के दौरान 115 लोग मारे गए. बड़ी भीड़ को प्रबंधित करने के प्रयासों के बावजूद, ये घटनाएं बेहतर भीड़ नियंत्रण उपायों की कमी और जरूरत को उजागर करती हैं.
वैष्णो देवी भगदड़ (2008) : हाल के भारतीय इतिहास में सबसे दुखद भगदड़ में से एक 1 जनवरी, 2008 को जम्मू और कश्मीर में वैष्णो देवी मंदिर में हुई थी. नए साल के आसपास व्यस्त तीर्थयात्रा अवधि के दौरान हुए भगदड़ में 150 से अधिक लोग मारे गए, और सैकड़ों घायल हो गए थे.
कुंभ मेले में भगदड़: कुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक है, और इस आयोजन के दौरान कई बार भगदड़ की घटनाएं हुई हैं. यह मेला हर 12 साल में गंगा नदी (इलाहाबाद, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन) के किनारे अलग-अलग स्थानों पर आयोजित होता है. 1954 कुंभ मेला (हरिद्वार):नदी में डुबकी लगाने के दौरान अचानक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने से मची भगदड़ में सैकड़ों लोग मारे गए थे.1986 कुंभ मेला हरिद्वार: साल 1986 में हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ में 200 लोगों की मौत हो गई थी. 2003 कुंभ मेला नासिक : 2003 में नासिक कुंभ में भी भगदड़ मचने के बाद 39 तीर्थयात्रियों की जान चली गई थी. इस हादसे में 100 लोग जख्मी हो गए थे. 2010: हरिद्वार में हो रहे कुंभ मेले के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच झड़प के बाद मची भगदड़ में 7 लोगों की मौत हो गई थी और 15 लोग घायल हो गए थे. 2013 कुंभ मेला (इलाहाबाद):लाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के दौरान कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई. इस आयोजन के लिए एकत्र हुए तीर्थयात्री ट्रेनों की ओर भागे, जिससे भीड़ भरे रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी.
महाराष्ट्र मंदिर भगदड़ (2004): अक्टूबर 2004 में, दशहरा उत्सव के दौरान महाराष्ट्र के नासिक कलाराम संस्थान मंदिर में भगदड़ मच गई थी. इस भगदड़ में लगभग 300 लोग मारे गए थे, और कई अन्य घायल हो गए थे. शाम की प्रार्थना के दौरान भगदड़ मचने की वजह से मंदिर से बाहर निकल रहे लोग हादसे के शिकार हो गये थे.
पटना (बिहार) भगदड़ (2012): 3 अक्टूबर, 2012 को, बिहार के पटना में गांधी मैदान में दशहरा उत्सव के दौरान भगदड़ मच गई. रावण के पुतलों के दहन समारोह को देखने के लिए जब भीड़ उमड़ी, तो भगदड़ मच गई, जिसमें 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए.