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तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र की 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' नीति के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव

Tamil Nadu Assembly, Resolution Passes In Tamil Nadu, तमिलनाडु विधानसभा में बुधवार को सर्वसहमति से दो प्रस्ताव पारित किए गए. पहले प्रस्ताव में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव की नीति को न पारित किया जाए. वहीं दूसरे प्रस्ताव में केंद्र से 2026 के बाद जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन नहीं करने का आग्रह किया गया है.

Tamil Nadu Assembly
तमिलनाडु विधानसभा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 14, 2024, 3:13 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से एक राष्ट्र, एक चुनाव नीति लागू नहीं करने का आग्रह किया. विधानसभा में एक और प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें केंद्र से 2026 के बाद जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन नहीं करने का आग्रह किया गया. द्रमुक के सहयोगी दलों, कांग्रेस, वीसीके, एमडीएमके और वाम दलों ने प्रस्ताव का समर्थन किया.

जब प्रस्ताव पर मतदान हुआ तो पीएमके विधायक मौजूद नहीं थे. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने दोनों प्रस्ताव पेश किये. संकल्प में कहा गया कि यह प्रतिष्ठित सदन केंद्र सरकार से एक राष्ट्र, एक चुनाव नीति को लागू नहीं करने का आग्रह करता है, क्योंकि एक राष्ट्र, एक चुनाव का सिद्धांत लोकतंत्र के आधार के खिलाफ, अव्यावहारिक, भारत के संविधान में निहित नहीं है.

प्रस्ताव में कहा गया कि स्थानीय निकायों, राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में जन केंद्रित मुद्दों के आधार पर अलग-अलग समय पर संसद आयोजित की जा रही हैं और यह लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के विचार के खिलाफ है. अन्नाद्रमुक विधायक एन थलवई सुंदरम ने कहा कि पार्टी दस वर्षों में अपनी दस मांगों के पूरा होने की स्थिति में एक राष्ट्र, एक चुनाव नीति का समर्थन करेगी, जिसका प्रतिनिधित्व पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति को दिया गया था.

अन्नाद्रमुक को लगा कि समय-समय पर चुनाव आचार संहिता के कारण चुनाव के कारण होने वाले खर्च में कमी आएगी. पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि 'हम यह नहीं कह रहे हैं कि इसे तुरंत लागू नहीं किया जाना चाहिए. दस साल लग सकते हैं, पांच साल में ईवीएम तैयार कर लीजिए. परिसीमन के बाद राज्य विधानसभाओं और संसद की सीटें कम नहीं होनी चाहिए.'

मुख्यमंत्री द्वारा पेश किये गये दूसरे प्रस्ताव में कहा गया कि 'यह सम्मानित सदन यह भी आग्रह करता है कि तमिलनाडु जैसे राज्यों को पिछले 50 वर्षों में लोगों के लाभ के लिए विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए.'

प्रस्ताव में कहा गया कि 'अपरिहार्य कारणों से यदि जनसंख्या के आधार पर सीटों की संख्या में वृद्धि होती है, तो राज्यों की विधानसभाओं और संसद के दोनों सदनों के बीच 1971 की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित निर्वाचन क्षेत्रों के वर्तमान अनुपात को बनाए रखा जाएगा.'

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