नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि, भारत में घरेलू कामगारों की मांग बढ़ रही है. हालांकि, इन कामगारों को उनके अधिकारों और सुरक्षा के संबंध में कानूनी शून्यता के कारण देश भर में उत्पीड़न और बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है.
जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि, घरेलू कामगार एक आवश्यक कार्यबल हैं. इसके बाद भी उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई अखिल भारतीय कानून नहीं है. इसलिए वे नियोक्ताओं और एजेंसियों के शोषण का शिकार होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से घरेलू कामगारों के अधिकारों के लाभ, सुरक्षा और विनियमन के लिए कानूनी ढांचे की सिफारिश करने की वांछनीयता पर विचार करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल बनाने को कहा.
घरेलू कामगारों के अधिकारियों पर चिंता जताते हुए बेंच ने कहा कि, उनके (घरेलू कामगार) साथ उत्पीड़न और बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार पूरे देश में व्याप्त है. पीठ ने कहा, "वास्तव में, भारत में घरेलू कामगार काफी हद तक असुरक्षित हैं और उन्हें कोई व्यापक कानूनी मान्यता नहीं है. नतीजतन, उन्हें अक्सर कम वेतन, असुरक्षित वातावरण और प्रभावी उपाय के बिना लंबे समय तक काम करना पड़ता है."
बेंच ने कहा कि वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता को कई सालों तक कुछ व्यक्तियों द्वारा प्रताड़ित किया गया तथा उसका शोषण किया गया, जिन्होंने उसे बेहतर जीवन का वादा करके जबरन अलग-अलग शहरों में भेजा, जो कभी पूरा नहीं हुआ. पीठ ने कहा कि, शिकायतकर्ता को काम पर रखने वाली कथित प्लेसमेंट एजेंसी ने लगातार उसका वेतन हड़प लिया, जिससे वह पूरी तरह से बेसहारा और असहाय हो गई.