प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा स्थित कटरा केशव देव के नाम दर्ज जमीन से शाही ईदगाह का अवैध कब्जा हटाकर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने सहित अन्य मांगों को लेकर विचाराधीन दीवानी मुकदमों की गुरुवार को सुनवाई हुई. इन मुकदमों में लगभग सवा दो घंटे तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों की ओर से तर्क प्रस्तुत किए गए अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव व अन्य सहित 18 दीवानी मुकदमों की सुनवाई करते हुए दिया है. गुरुवार को सुनवाई में सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत दीवानी मुकदमे की पोषणीयता, प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ अधिनियम आदि बिंदुओं पर बहस हुई. वक्फ बोर्ड की ओर से तसनीम अहमदी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस की.
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: ये विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहा है. इस जमीन पर 11 एकड़ में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है. वहीं जमीन में 2.37 एकड़ हिस्सा शाही ईदगाह मस्जिद के कब्जे में है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यह श्रीकृष्ण जन्मभूमि है.
इस विवाद की शुरुआत करीब 350 साल पुरानी बताया जाती है. उस वक्त दिल्ली की गद्दी पर औरंगजेब का शासन हुआ करता था. 1670 में औरंगजेब ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म स्थान तोड़ने का आदेश दिया था. इसके बाद यहां पर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी. इटेलियन टूरिस्ट निकोलस मनूची ने लिखा था कि रमजान के महीने में श्रीकृष्ण जन्मस्थान को तोड़ा गया था.
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