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'वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने की कोशिश कर रहे', मन की बात में बोले पीएम मोदी, इन सब्जियों की हो सकती है पैदावार - MANN KI BAAT

ISRO ने अंतरिक्ष में लोबिया के बीज भेजे थे, जो पिछले सप्ताह अंकुरित हुए. पीएम मोदी ने इसका जिक्र 'मन की बात' में किया है.

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वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने की कोशिश कर रहे (ANI/ ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 19, 2025, 3:33 PM IST

नई दिल्ली: मन की बात के 118वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने और उन्हें जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने लोबिया के बीजों का चयन किया है. पीएम मोदी ने रहा, "30 दिसंबर को अंतरिक्ष में भेजे गए ये बीज अंकुरित हो गए हैं. यह एक प्रेरणादायक प्रयोग है, जो भविष्य में अंतरिक्ष में सब्जियां उगाने के रास्ते खोलेगा. यह दर्शाता है कि हमारे वैज्ञानिक भविष्य के लिए एक विजन के साथ काम कर रहे हैं."

बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 30 दिसंबर को कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज (CROPS) से अंतरिक्ष में लोबिया (ब्लैक-आइड पी) के बीज भेजे थे, जो पिछले सप्ताह अंकुरित हुए.

अंतरिक्ष में पौधे क्यों उगाएं?
मनुष्य मंगल और चंद्रमा जैसे खगोलीय पिंडों पर कॉलोनी स्थापित करने के लिए लंबे अंतरिक्ष मिशनों पर निकलते हैं. ऐसे में अंतरिक्ष में उगाए गए पौधे उन्हें एक स्थायी खाद्य स्रोत प्रदान कर सकते हैं. वहीं, अंतरिक्ष यात्री मिशन के दौरान मल्टीविटामिन के सीमित स्टॉक पर भी निर्भर नहीं रह सकते हैं जो सालों तक चल सकते हैं. इसके अलावा पहले से पैक किए गए विटामिन लंबे समय में टूट जाते हैं और अपना न्यूट्रेटिव वैल्यू खो देते हैं.

अमेरिका स्थित ब्लू मार्बल स्पेस इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के एक संबद्ध शोध वैज्ञानिक सिद्धार्थ पांडे ने द इंडियन एक्सप्रेसको बताया कि चूंकि पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए उन्हें अंतरिक्ष में उगाने से अंतरिक्ष यान में हवा को सांस लेने योग्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. पांडे ने कहा, "पौधे कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बनिक वेस्ट को रिसाइकिल कर सकते हैं, जिससे एक बंद लूप लाइफ स्पोर्ट सिस्टम बन सकती है." उन्होंने कहा कि पौधों की देखभाल करने से भी तनाव कम करने में मदद मिल सकती है.

अंतरिक्ष में पौधे उगाना क्यों मुश्किल है?
सबसे बड़ी चुनौती माइक्रोग्रैविटी है, वह स्थिति जिसमें लोग या वस्तुएं वेटलेस लगती हैं. गुरुत्वाकर्षण की कमी पौधों की जड़ों को नीचे की ओर बढ़ने से रोकती है, साथ ही पोषक तत्वों की डिलीवरी को भी मुश्किल बनाती है. चूंकि पानी माइक्रोग्रैविटी में जिस भी सतह को छूता है, उससे चिपक जाता है, इसलिए जब उसे पौधे के बेस पर छिड़का जाता है, तो यह जड़ों तक नहीं पहुंच पाता जहां इसे अवशोषित किया जा सकता है.

अंतरिक्ष में उगाए जाने वाले पौधों को हाई लेवल रेडिएशन से भी बचाने की आवश्यकता होती है जो उनके डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं और विकास में बाधा डाल सकते हैं. इसके अलावा तापमान में उतार-चढ़ाव से भी बचाए रखना चाहिए

रोशनी की स्थिति, विशेष रूप से बाहरी सौर मंडल में जहां सूर्य का प्रकाश दुर्लभ है, एक और चुनौती पेश करती है. रोशनी के बिना, प्रकाश संश्लेषण बंद हो जाता है और पौधे जितना ऑक्सीजन बनाते हैं, उससे अधिक ऑक्सीजन कंज्यूम करना शुरू कर देते हैं.

अंतरिक्ष में किस तरह के पौधे उगाए जा सकते हैं?
पांडे ने कहा,"पौधों का सेलेक्शन उनकी वृद्धि दर, पोषक तत्वों की मात्रा और अंतरिक्ष खेती प्रणालियों के साथ अनुकूलता के आधार पर किया जाता है." सलाद, पालक और केल जैसी पत्तेदार हरी सब्जियां, जो तेजी से बढ़ती हैं, उनको कम जगह की आवश्यकता होती है और पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं.यह अंतरिक्ष में उगाने के लिए आदर्श पौधे हैं. बीन्स और मटर की खेती भी की जाती है, जो प्रोटीन से भरपूर होती हैं और मिट्टी में नाइट्रोजन को ठीक कर सकते हैं, जिससे पोषक चक्र में सुधार होता है.

पांडे ने कहा, "मूली और गाजर कॉम्पैक्ट जगहों में अच्छी तरह से उगते हैं... अंतरिक्ष आवासों में लंबे समय तक जीवित रहने के लिए गेहूं और चावल उगाए जा सकते हैं." टमाटर और स्ट्रॉबेरी जैसे फल भी उगाए जा सकते हैं.

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