दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

बेअंत सिंह हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति से राजोआना की दया याचिका पर फैसला करने का किया आग्रह

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति से राजोआना की दया याचिका पर फैसला करने का आग्रह किया है.

supreme court
सुप्रीम कोर्ट (IANS)

By Sumit Saxena

Published : 4 hours ago

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अनुरोध किया कि वह 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए बब्बर खालसा के समर्थक बलवंत सिंह राजोआना की लंबित दया याचिका पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय लें.

जस्टिस बी आर गवई, प्रशांत कुमार मिश्रा और के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि, यदि 5 दिसंबर को अगली सुनवाई से पहले कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो अदालत राजोआना की उसे अस्थायी रूप से रिहा करने की याचिका पर विचार करेगी. शुरू में, पीठ ने राजोआना द्वारा दायर याचिका में केंद्र सरकार की ओर से एक वकील के उपस्थित न होने पर असंतोष व्यक्त किया. राजोआना ने अपनी दया याचिका पर निर्णय लेने में 12 साल की अत्यधिक देरी पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

बेंच ने कहा कि, आज मामले को विशेष रूप से रखे जाने के बाद भी केंद्र की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ. बेंच ने कहा कि, पीठ केवल इसी मामले के लिए बैठी थी. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश दिया कि वे मृत्युदंड की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को विचारार्थ उनके समक्ष रखें.

बेंच ने अपने आदेश में कहा कि, याचिकाकर्ता के मृत्युदंड की सजा पर विचार करते हुए हम राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि, वे मामले को राष्ट्रपति के समक्ष रखें और दो सप्ताह के भीतर इस मामले पर विचार करने का अनुरोध करें. पीठ ने कहा कि यदि कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो वह राजोआना द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत के मामले पर विचार करेगी.

सुनवाई के दौरान राजोआना का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपने मुवक्किल के लिए अंतरिम राहत मांगी और देरी का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि, इसी मामले में दोषी ठहराए गए अन्य लोगों को इस अदालत ने राहत दी थी और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था और अब वे रिहा हो चुके हैं. रोहतगी ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि, उनके मुवक्किल के लिए यह देरी कैसे उचित है?

पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने मामले से खुद को अलग करने की कोशिश की. वकील ने कहा कि, हमारी कोई भूमिका नहीं है. यह केंद्र को तय करना है, क्योंकि वे कहते हैं कि यह राष्ट्रपति के पास लंबित है. हालांकि, पीठ ने कहा, अपराध पंजाब में हुआ है... केंद्र ने पहले हलफनामा दायर कर कहा था कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. आप कैसे कह सकते हैं कि आपकी कोई भूमिका नहीं है?" राजोआना बब्बर खालसा से जुड़ा था, जो पंजाब में उग्रवाद के दौरान हिंसक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार एक उग्रवादी सिख अलगाववादी समूह है. केंद्र ने कहा है कि उसकी रिहाई राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और इसे खालिस्तान समर्थक भावना के फिर से उभरने की चिंताओं से जोड़ा है.

ये भी पढ़ें:सुप्रीम कोर्ट में 18 नवंबर को दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई

ABOUT THE AUTHOR

...view details