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SC ने चुनाव आयोग से पोलिंग बूथों पर वोटरों की संख्या बढ़ाने के फैसले पर जवाब मांगा

चुनाव आयोग द्वारा पोलिंग बूथों पर वोटरों की संख्या बढ़ाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

SC asks ECI to explain its decision to increase voter count per polling booth
सुप्रीम कोर्ट (IANS)

By Sumit Saxena

Published : 6 hours ago

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग (ECI) से पूछा कि वह बताए कि 1500 वोट रिकॉर्ड करने वाली ईवीएम, 1500 से अधिक मतदाताओं वाले मतदान केंद्र की जरूरतों को कैसे पूरा करेगी. यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष आया.

पीठ ने चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा कि वे एक संक्षिप्त हलफनामे के माध्यम से स्थिति स्पष्ट करें. पीठ ने 3 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा. पीठ ने कहा कि हलफनामे की प्रति याचिकाकर्ता के वकील को दी जाए. पीठ ने 17 जनवरी को सुनवाई निर्धारित की है. इंदु प्रकाश सिंह द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने का निर्णय लिया गया है.

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ईवीएम के खिलाफ आरोप जारी रहेंगे और 2019 से मतदान इसी तरह हो रहा है. वकील ने कहा कि इससे पहले राजनीतिक दलों से सलाह ली जाती है. मुख्य न्यायाधीश ने सिंह से कहा कि वे इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए एक हलफनामा दायर करें. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि न्यायालय चिंतित है तथा किसी भी मतदाता को परेशान नहीं किया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने अगस्त 2024 में चुनाव आयोग द्वारा जारी दो विज्ञप्तियों को चुनौती दी है. इसमें देश भर में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है. याचिका में कहा गया है कि प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का निर्णय मनमाना था और किसी भी डेटा पर आधारित नहीं था.

पिछली सुनवाई में 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कोई नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था, लेकिन याचिकाकर्ता को नोटिस की प्रति चुनाव आयोग के स्थायी वकील को देने की अनुमति दी थी, ताकि इस मुद्दे पर उसके रुख का पता चल सके. याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग के फैसले से महाराष्ट्र और झारखंड (जो अब संपन्न हो चुके हैं) और अगले साल होने वाले बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं पर असर पड़ेगा.

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