नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत का रक्षा तंत्र आज पहले से कहीं अधिक मजबूत है क्योंकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इसे भारतीयता की भावना के साथ मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि भारत की संस्कृति के ध्वजवाहक प्रभु श्री राम हैं, जो नैतिकता और आध्यात्मिकता के प्रतीक तो हैं ही, साथ ही भगवान राम का साम्राज्य भी 'अमोध्य' है, उनका बाण भी रामबाण है, जो अमोघ है भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम तो हैं ही, वो इस धरती पर अधर्म के नाशक भी हैं. वो शस्त्र और शास्त्र ज्ञान, दोनों के धारक हैं. राजनाथ सिंह ने यह बातें एक निजी मीडिया संगठन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन में कहीं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि इसलिए भगवान राम के विस्तार के रूप में भारतीय संस्कृति को आप देखें, तो आपको भारत की सैन्य शक्ति और हमारी आध्यात्मिकता के बीच में कोई विरोधाभास नहीं, बल्कि पूर्ण तारतम्य दिखता है. जब आप भारत को भारत के नजरिए से देखेंगे, अपनी सेना को भारतीय नजर से देखेंगे, तो हर नागरिक को अपने देश की सेना पर गर्व होगा, क्योंकि सेना उस नागरिक की सुरक्षा के लिए होती है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने अकबर के बजाए महाराणा प्रताप को सम्मान दिया, हमने औरंगजेब के बजाय छत्रपति शिवाजी महाराज को सम्मान दिया, हम मैकॉले की दी गई इंडियन पिनल कोड को नकार कर 'भारतीय न्याय संहिता' लाए. हमने इस देश की संस्कृति और सांस्कृतिक क्षमता में अपने युवाओं का विश्वास दृढ़ किया. रक्षा मंत्री के मुताबिक, आज न सिर्फ भारतीय रक्षा व्यवस्था मजबूत है, बल्कि भारत भी मजबूती के साथ वैश्विक पटल पर उभर रहा है और वह दिन दूर नहीं जब भारत न सिर्फ विकसित राष्ट्र के रूप में सामने आएगा, बल्कि हमारी सैन्य शक्ति दुनिया की सर्वोच्च सैन्य शक्ति बनकर उभरेगी.
राजनाथ सिंह ने कहा कि 2014 के आसपास जहां हमारा डोमेस्टिक डिफेंस प्रोडक्शन लगभग 40 हजार करोड़ रूपए था, वहीं आज यह लगभग 1 लाख 10 हजार करोड़ रूपए के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर चुका है. 9-10 साल पहले रक्षा उपकरणों का निर्यात जहां कुछ हजार करोड़ रुपए सालाना नहीं हुआ करता था, वह आज लगभग 16 हज़ार करोड़ रुपए सालाना हो गया है. अब यह लगभग बीस हज़ार करोड़ पहुंचने वाला है. हमारा लक्ष्य क़रीब 50,000 करोड़ तक रक्षा सामग्री का निर्यात करने का है. भारत ने मेक इन इंडिया और डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसी इनिशिएटिव के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि हम अपनी सेनाओं की जरूरत के लिए अत्याधुनिक हथियार भारत में ही निर्मित करें और यदि संभव हो तो हम उसे निर्यात भी करें.