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सत्यापन प्रक्रिया के बीच जम्मू में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को सता रहा असुरक्षा और निर्वासन का डर

Rohingya refugees: जम्मू में रोहिंग्याओं की सत्यापन प्रक्रिया चल रही है. इससे म्यांमार में उत्पीड़न के बाद भागकर आए रोहिंग्याओं में असुरक्षा का माहौल है.

Rohingya refugees living in Jammu Express Safety Concerns Amid Government Verification drive
सत्यापन प्रक्रिया के बीच जम्मू में रह रहे रोहिंग्याओं को सता रहा असुरक्षा और निर्वासन का डर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

जम्मू : जम्मू में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों ने चल रही सरकारी सत्यापन प्रक्रियाओं के बाद अपनी सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंता जताई है. म्यांमार में उत्पीड़न के बाद भागकर आए रोहिंग्या कई वर्षों से जम्मू में रह रहे हैं, लेकिन हाल ही में उनकी मौजूदगी की गहन जांच के कारण उन्हें निशाना बनाए जाने और विस्थापित होने का डर सता रहा है, क्योंकि पुलिस ने रोहिंग्याओं को अपनी संपत्तियों पर रहने की अनुमति देने वाले कई मकान मालिकों पर मामला दर्ज किया है.

रोहिंग्या समुदाय ने हीरानगर जेल में बंद कई रोहिंग्या कैदियों की रिहाई की भी मांग की है. कई लोगों को 2021 में भारत के विदेशी अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था, क्योंकि अधिकारियों ने बिना दस्तावेज वाले रोहिंग्याओं पर कार्रवाई की थी. कैदियों के परिवारों का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से कैद किया गया है. वे मानवीय कारणों का हवाला देते हुए उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं.

जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थी (ETV Bharat)

रोहिंग्या समुदाय के सदस्य खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, कुछ ने अधिकारियों पर गलत तरीके से प्रोफाइलिंग करने का आरोप लगाया है. एक रोहिंग्या बुजुर्ग ने ईटीवी भारत से कहा, "हमने हिंसा से बचने के लिए म्यांमार छोड़ा था, लेकिन यहां भी हम असुरक्षित महसूस करते हैं." उन्होंने सरकार से इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ संभालने और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी कानून के तहत रोहिंग्या शरणार्थियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, क्योंकि रोहिंग्या समुदाय कानूनी चुनौतियों और निर्वासन के डर के बीच फंसा हुआ है. सुरक्षा और सम्मान के लिए उनकी दलीलें वैश्विक स्तर पर गूंज रही हैं, जो व्यापक शरणार्थी संकट और मानवीय समाधानों की आवश्यकता को उजागर करती हैं.

जम्मू में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी (ETV Bharat)

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड रखने के बावजूद, कई रोहिंग्याओं को हिरासत में लिया गया है और 2021 से वे हीरानगर जेल में बंद हैं. अवैध प्रवासियों के खिलाफ सरकार के अभियान के दौरान इन्हें विदेशी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. समुदाय के एक प्रतिनिधि ने ईटीवी भारत से कहा, "हमारे पास यूएनएचसीआर शरणार्थी कार्ड हैं, फिर भी हममें से कई लोगों को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया है. हम उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हैं."

जम्मू में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए स्थिति और भी खराब हो गई है, क्योंकि किराए पर कमरा देने वाले मकान मालिकों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के कारण परिवारों को आश्रय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इसके अलावा, उन्हें पानी और बिजली की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. एक रोहिंग्या बुजुर्ग ने कहा कि यहां हमारे साथ भेदभाव किया जाता है, हमें बुनियादी जरूरतों से वंचित किया जाता है और अब आश्रय भी मिलना मुश्किल हो गया है.

2010 से जम्मू में रह रहे मोहम्मद रफीक नाम के रोहिंग्या शरणार्थी सरकार से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि हिरासत में लिए गए उनके परिवार के सदस्यों की रिहा किया जाए और उन्हें आश्रय देने वाले मकान मालिकों पर कार्रवाई को रोका जाए.

रोहिंग्या शरणार्थी दिल मोहम्मद ने अपने समुदाय के सामने आने वाली गहरी समस्याओं को साझा किया. उन्होंने कहा, "हम बहुत गरीब हैं और यहां बहुत ही खराब हालत में रह रहे हैं, लेकिन पुलिस ने हममें से कई लोगों को हीरानगर जेल में बंद कर रखा है. अगर कोई जेल में मर जाता है, तो हम सिर्फ उसका चेहरा देखते हैं. जब बाहर कोई रिश्तेदार मर जाता है, तो कैदी अपने प्रियजनों को आखिरी बार भी नहीं देख पाते." दिल मोहम्मद ने कहा, "हमारे पास यूएन शरणार्थी कार्ड हैं और हम यहां परेशानी खड़ी करने के लिए नहीं आए हैं. जब वहां हालात ठीक हो जाएंगे, तो हम म्यांमार वापस चले जाएंगे."

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