नई दिल्ली :भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया, जिसमें चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया गया. पीठ केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला दे रही थी, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती है.
फैसले की शुरुआत में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि दो राय हैं, एक उनकी और दूसरी जस्टिस संजीव खन्ना की और दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. पीठ ने कहा कि याचिकाओं में दो मुख्य मुद्दे उठाए गए हैं; क्या संशोधन अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है और क्या असीमित कॉर्पोरेट फंडिंग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का उल्लंघन किया है. सीजेआई ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है.
वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के लिए किए गए सभी प्रावधानों को रद्द कर दिया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि कोर्ट ने माना कि यह नागरिकों के जानने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है कि कौन राजनीतिक दलों को धन का योगदान दे रहा है. उन्होंने कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को दिए जा रहे असीमित योगदान को भी खत्म कर दिया है.
चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने कहा कि अदालत ने कहा कि यह पारदर्शी होना चाहिए. आरटीआई हर नागरिक का अधिकार है. कितना पैसा और कौन लोग देते हैं इसका खुलासा होना चाहिए. 2018 में जब यह चुनावी बॉन्ड योजना प्रस्तावित की गई थी तो इस योजना में कहा गया था कि आप बैंक से बॉन्ड खरीद सकते हैं और पैसा पार्टी को दे सकते हैं. आपका नाम उजागर नहीं किया जाएगा, जो कि सूचना के अधिकार के खिलाफ है और इसका खुलासा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी उसमें यही मांग की गई थी कि इसे पारदर्शी होना चाहिए.
चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर, वकील शादान फरासत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड संशोधनों को रद्द कर दिया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमारी दलीलों से सहमत है. योजना की गुमनामी सुनिश्चित करने के लिए जो संशोधन पेश किए गए थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है और उसके परिणामस्वरूप, योजना को ही रद्द कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है. पीठ (जिसमें पांच न्यायाधीश शामिल हैं) ने कहा है कि चुनावी बांड योजना असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बांड योजना को संसद की ओर से पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा कि लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है. यह नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा. कांग्रेस नेता ने लिखा कि मोदी सरकार चंदादाताओं को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर किसी भी तरह का अत्याचार कर रही है. हमें यह भी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से भी इनकार कर रहा है. यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'एक्स' पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है. उन्होंने दावा किया कि चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया. इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी भाजपा को सीधे लाभ पहुंचाया.