शिमला: उद्योग जगत के शिखर पर विराजे रतन टाटा के देहांत के बाद उनकी सादगी की चर्चा चारों तरफ हो रही है. रतन टाटा बेशुमार संपत्ति के मालिक होने के बावजूद सरल, सहज व सादगी पसंद थे. साल 2008 में जब मुंबई स्थित टाटा समूह के ताज होटल पर जब आतंकी हमला हुआ तो रतन टाटा अपने होटल की संपत्ति के नुकसान की बजाय वहां ठहरे मेहमानों, स्टाफ और सेना के कमांडो की सुरक्षा के लिए चिंतित थे. ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो को लीड करने वाले हिमाचल के वीर सपूत ब्रिगेडियर जीएस सिसोदिया ने ईटीवी भारत के साथ देहरादून से रतन टाटा के साथ जुड़ी स्मृतियां साझा की.
ब्रिगेडियर जीएस सिसौदिया ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि हमले के दौरान रतन टाटा अपने स्टाफ, मेहमानों व सेना के कमांडो की सुरक्षा के लिए अधिक चिंतित थे. जब परिस्थितियां काबू में आई तो वो होटल पहुंचे और सबसे पहले ब्रिगेडियर जीएस सिसोदिया से मिले. मिलते ही उन्होंने कमांडो की सुरक्षा, मेहमानों व स्टाफ के सदस्यों की कुशलता पूछी. इससे पहले वे अपने ऑफिस से सिचुएशन को मॉनिटर कर रहे थे.
ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो के खत्म होने के बाद ताज होटल पहुंचे रतन टाटा (ETV BHARAT) ब्रिगेडियर जीएस सिसोदिया ने बताया कि आतंकी हमले से उपजी परिस्थितियों के बाद ताज समूह ने सुरक्षा के उपायों पर गंभीरता से चिंतन किया. ब्रिगेडियर सिसोदिया के अनुसार टाटा समूह ने उन्हें बाद में टीसीएल कंपनी की सुरक्षा का जिम्मा दिया. समूह की टीसीएल कंपनी की ओवरऑल सिक्योरिटी का हेड ब्रिगेडियर सिसोदिया को बनाया गया. सेना से रिटायर होने के बाद ब्रिगेडियर जीएस सिसोदिया पांच साल तक टाटा समूह को सुरक्षा से जुड़े मसलों पर सलाह देते रहे और टीसीएल की सुरक्षा सुनिश्चित की. होटल ताज मुंबई पर जो हमला हुआ, उसके बाद ऐसा भविष्य में कभी न हो, इसके लिए रतन टाटा गंभीर थे.
ब्रिगेडियर सिसोदिया ने बताया कि,'ताज पर हमले के बाद जब स्थितियां सामान्य हुई और आतंकी मारे गए तो रतन टाटा मुझसे मिलने आए. रतन टाटा के साथ कोई तामझाम नहीं था. वो साधारण तौर पर अकेले ही मिलने आए. ताज के सुरक्षाकर्मी सुनील ने ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो के दौरान सेना के कमांडोज की काफी मदद की. उन्होंने ताज के भीतर के रास्तों व अन्य बातों को कमांडो ऑपरेशन के दौरान साझा किया, जिससे हमें काफी मदद मिली. सुनील को बाद में रतन टाटा ने ताज मुंबई की सुरक्षा का जिम्मा दे दिया था. वो सही मायनों में धरातल पर काम करते थे और अपने कर्मचारियों की चिंता करते थे. मैं कुल तीन बार रतन टाटा से मिला हूं. हर बार वो बेहद सादगी के साथ मिलते थे. उनके चेहरे पर कोई अहम का भाव नहीं होता था. वो बहुत सरल व्यक्ति थे. उनके निधन से उद्योग जगत को बहुत नुकसान हुआ है.'
ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो के दौरान ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया (ETV BHARAT) कौन हैं ब्रिगेडियर सिसोदिया ?
विशिष्ट सेना मेडल व अन्य कई सम्मानों से अलंकृत ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया शिमला जिला के चौपाल से संबंध रखते हैं. मुंबई में ताज ग्रुप के होटल पर हमले के दौरान उन्होंने ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो को लीड किया था. साठ घंटे में आतंकियों का सफाया कर ऑपरेशन पूरा किया गया था.एनएसजी कमांडोज ने ब्रिगेडियर सिसोदिया के मार्गदर्शन में ऑपरेशन को सफलता से पूरा किया था. रिटायरमेंट के बाद ब्रिगेडियर सिसोदिया देहरादून में रहकर सुरक्षा के मोर्चे पर काम कर रहे हैं. उन्होंने सेना में विभिन्न पदों पर देश के विभिन्न हिस्सों में सेवा प्रदान की है. वो एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडोज के साथ जुड़े रहे हैं. सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर ब्रिगेडियर सिसोदिया के पास विशाल अनुभव है.