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इंग्लिश के बढ़ते चलन के बीच रामोजी राव ने क्षेत्रीय मीडिया को दी नई जिंदगी - Ramoji Rao - RAMOJI RAO

Ramoji Rao: ऐसे समय में जबकि नेशनल मीडिया में अंग्रेजी का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा था, रामोजी राव ने न सिर्फ क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी अलग पहचान कायम की, बल्कि मीडिया जगत में अपनी बादशाहत भी कायम की. लगभग प्रत्येक भारतीय भाषाओं में उन्होंने रीजनल न्यूज चैनल की स्थापना कर मीडिया जगत का स्वरूप ही बदल दिया.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 8, 2024, 12:24 PM IST

हैदराबाद: रामोजी राव, जोश, समर्पण और इनोवेशन से भरा नाम है. उनकी सफल यात्रा के पीछे चुनौतियां केवल बाधाएं नहीं थीं, बल्कि स्वागत योग्य रोमांच थीं. ये चुनौतियां उनके लिए हर पल कुछ नया और कुछ परिवर्तनकारी करने का मौका था. उन्होंने अटूट प्रतिबद्धता और टीमवर्क में अपनी गहरी आस्था के साथ क्रिएटिविटी के क्षेत्र में कदम रखा और कई क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी.

ऐसे समय में जबकि पूरे देश में इंगलिश का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा था, उन्होंने रीजनल न्यूज के क्षेत्र में कदम रखा. उनके प्रयोग ने मीडिया जगत को स्तब्ध कर दिया. रामोजी ने लगभग प्रत्येक रीजनल लैंगुएज में न्यूज चैनल की स्थापना की. उनके इस प्रयोग के बाद पूरे देश में लोकल मीडिया जगत को नई जिंदगी दी.

रामोजी राव का तेलुगु भाषित लोगों और तेलुगु भूमि के प्रति उनका गहरा समर्पण इतिहास के पन्नों में अंकित है, जो उनकी स्थायी विरासत का प्रमाण है. उनके प्रयासों की वजह से तेलुगु मीडिया ने तेलुगु समुदाय से जुड़ी समस्याओं को सबके सामने पेश किया.

रामोजी राव (ETV Bharat)

तेलुगु जर्नलिज्म के पुनर्जागरण की शुरुआत
रामोजी राव का विजन पत्रकारिता से परे था. इसमें तेलुगु भाषा के सार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की वास्तविक इच्छा शामिल थी. अंग्रेजी के बढ़ते चलन से परेशान होकर, उन्होंने तेलुगु भाषा की रक्षा की और इसे वाइब्रेंट और प्रासंगिकता प्रदान की. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में उनकी पहल ने तेलुगु जर्नलिज्म के पुनर्जागरण की शुरुआत की.

रामोजी राव (ETV Bharat)

भाषा के प्रति लोगों में पैदा जुनून
रामोजी फाउंडेशन उनकी स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो भाषाई और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का गढ़ है. 'तेलुगु वेलुगु' जैसी पहलों के माध्यम से, रामोजी राव ने भाषा के प्रति उत्साही लोगों के बीच जुनून की लौ जलाने का प्रयास किया, जिससे तेलुगु साहित्य और अभिव्यक्ति का पुनर्जागरण हुआ. उनका यह विश्वास कि भाषा किसी राष्ट्र की आत्मा है, ने उन्हें भावी पीढ़ियों के दिलों में तेलुगु के प्रति गहरा प्रेम जगाने के लिए प्रेरित किया.

क्षेत्रीय भाषाओं में टेलीविजन चैनलों के प्रसार
हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी की स्थापना ने तेलुगु सिनेमा को वैश्विक मंच पर पहुंचा दिया. गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड से दुनिया के सबसे बड़े फिल्म निर्माण केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त, यह सिनेमाई उत्कृष्टता का केंद्र बन गया. इसने भारतीय उपमहाद्वीप के सभी दिग्गजों को अपनी ओर आकर्षित किया. इतना ही नहीं क्षेत्रीय भाषाओं में टेलीविजन चैनलों के प्रसार ने हैदराबाद की सांस्कृतिक मेलजोल वाली जगह के रूप में स्थिति को और मजबूत किया, जो 'विविधता में एकता' के रामोजी राव के दृष्टिकोण का प्रमाण है.

रामोजी राव (ETV Bharat)

पत्रकारिता ही रहा असली पेशा
मीडिया और मनोरंजन में अपने योगदान के अलावा रामोजी राव को एक उद्योगपति, न्यूज एडिटर और स्टूडियो संस्थापक के रूप में भी जाना है. हालांकि, पत्रकारिता ही उनका असली पेशा रहा. यह एक ऐसा क्षेत्र था, जहां उन्होंने सटीकता के साथ शब्दों का इस्तेमाल किया. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पत्रकारिता की ईमानदारी और नैतिक आचरण के हाई स्टैंडर्ड का उदाहरण पेश किया, जिससे उन्हें साथियों और शिष्यों दोनों का सम्मान और प्रशंसा मिली.

रामोजी राव के नेतृत्व में डिस्ट्रिक्ट न्यूज पेपर के आगमन ने ग्रासरूट जर्नलिज्म के एक नए युग की शुरुआत की, जिसने हाशिए पर पड़े और वंचित लोगों की आवाज को बुलंद किया. 'अन्नदाता' जैसे पब्लिकेशन के माध्यम से उन्होंने किसानों के हितों की वकालत की और उनकी चिंताओं को अटूट संकल्प के साथ व्यक्त किया. उनके एडिटोरियल स्किल ने मीडिया में क्रांति ला दी.

विपत्ति के समय में रामोजी राव अन्याय और अत्याचार के खिलाफ एक मजबूत दीवार बनकर खड़े रहे, उनका दृढ़ संकल्प लाखों लोगों के लिए शक्ति और प्रेरणा का स्रोत है. 1984 के लोकतांत्रिक पुनरुद्धार आंदोलन के उथल-पुथल भरे दिनों के दौरान, सत्य और न्याय के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता ने जनता को उत्साहित किया, जिससे राजनीतिक जागृति और सशक्तिकरण का एक नया युग शुरू हुआ. हाशिए पर पड़े और उत्पीड़ित लोगों के अधिकारों के लिए उनकी अथक वकालत ने उन्हें सबसे बुरे समय में आशा की किरण बना दिया, जो लचीलेपन और धैर्य का प्रतीक है.

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