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महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने को लेकर याचिका, SC ने केंद्र को नोटिस जारी किया - GUIDELINES FOR WOMEN SAFETY

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अखिल भारतीय दिशा- निर्देशों की मांग करने वाली याचिका में कई चीजों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.

SUPREME COURT
सुप्रीम कोर्ट (file photo-IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध और हिंसा को रोकने के लिए दोषियों के क्लिनिकल बधियाकरण सहित पूरे देश में दिशा-निर्देश निर्धारित करने की याचिका पर जवाब मांगा. यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया.

सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि वह याचिका में उल्लिखित कई प्रार्थनाओं पर विचार नहीं करेगी क्योंकि वे "बर्बर" और "कठोर" हैं. हालांकि, पीठ ने याचिका की जांच करने पर सहमति जताते हुए कहा कि कुछ मुद्दे बहुत नए हैं. पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पवनी ने याचिका पर बहस की. अधिवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि ऑनलाइन पोर्नोग्राफी की उपलब्धता पर प्रतिबंध लगाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है.

अधिवक्ता ने क्लिनिकल बधियाकरण लाने पर भी जोर दिया. पवनी ने कहा कि निर्भया से लेकर अभया मामले में महिलाओं को सड़क पर रेल से लेकर घरों में रेप का सामना करना पड़ा. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन पर उचित व्यवहार बनाए रखने का प्रश्न विचारणीय मुद्दों में से एक है. पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि बसों, मेट्रो और ट्रेनों में कैसा व्यवहार करना चाहिए, इस बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.

पीठ ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन में उचित सामाजिक व्यवहार न केवल सिखाया जाना चाहिए बल्कि इसे सख्ती से लागू भी किया जाना चाहिए. पवनी ने कहा कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद यौन हिंसा की लगभग 95 घटनाएं हुई हैं, लेकिन उन्हें उजागर नहीं किया गया.

पवनी ने बताया कि सोमवार को 2012 के भयावह निर्भया कांड की बरसी है, जिसमें 23 वर्षीय महिला फिजियोथेरेपी इंटर्न के साथ बस में गैंगरेप किया गया था और उस पर बेरहमी से हमला किया गया था. पीड़िता की बाद में मौत हो गई थी. इस पर पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की महिला वकील एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा. पीठ ने निर्देश दिया कि अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के माध्यम से संबंधित मंत्रालयों और उसके निकायों को नोटिस जारी किया जाए.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, "हम आम महिलाओं के लिए राहत मांगने के आपके प्रयास की सराहना करते हैं, जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में संघर्ष का सामना करना पड़ता है." याचिका में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के सभी दोषियों को क्लिनिकल बधियाकरण की सजा देने तथा आजीवन कारावास और मृत्युदंड की सजा पाए दोषियों को स्थायी रूप से बधियाकरण करने के लिए कठोर कानून बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.

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