नई दिल्ली: एक संसदीय समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय से केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य सेवा (CGHS) कल्याण केंद्रों के समान वितरण पर तुरंत ध्यान देने को कहा है. समिति इस तथ्य से अवगत हुआ कि पूरे भारत में केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य सेवा (सीजीएचएस) कल्याण केंद्रों का वितरण समान नहीं है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में पाया है कि 340 एलोपैथिक कल्याण केंद्रों में से 26 फीसदी केवल दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में केंद्रित हैं.
भाजपा के राज्यसभा सांसद भुवनेश्वर कलिता की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, 'इसके अलावा केवल छह राज्यों (दिल्ली एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर) में 10 से अधिक सीजीएचएस केंद्र हैं.' दिलचस्प बात यह है कि अरुणाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में कोई सीजीएचएस वेलनेस सेंटर नहीं है.
केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए प्रदान की जाने वाली एक स्वास्थ्य सुविधा है. इसका उद्देश्य निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर जोर देने के साथ व्यापक चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करना है. सीजीएचएस देश भर में औषधालयों, अस्पतालों और निदान केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से चिकित्सा सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है.
सीजीएचएस ने जांच और इनडोर उपचार सुविधाओं के लिए विभिन्न शहरों में 1735 निजी अस्पतालों और 209 प्रयोगशालाओं को सूचीबद्ध किया है. सीजीएचएस ने पिछले नौ वर्षों में एक महत्वपूर्ण छलांग देखी है. इस योजना को 2014 में 25 शहरों से बढ़ाकर 2023 में 80 शहरों तक कर दिया गया था. अब 340 एलोपैथिक वेलनेस सेंटर, 18 पॉलीक्लिनिक, 03 सीजीएचएस अस्पताल और 107 आयुष केंद्र और इकाइयों के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. यह 2014 में 34 लाख लाभार्थियों से बढ़कर 43.56 लाख लाभार्थियों को सेवा प्रदान करता है.
सीजीएचएस वेलनेस सेंटरों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए समिति के अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता ने ईटीवी भारत को बताया कि ऐसी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की अधिकतम उपस्थिति बहुत आवश्यक है. वास्तव में विभिन्न राज्यों में सीजीएचएस कल्याण केंद्रों का समान वितरण होना चाहिए. ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में क्रमश: पांच, चार और दो सीजीएचएस वेलनेस सेंटर हैं. बड़े राज्यों में ऐसे केंद्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए.
कलिता ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि सरकार सीजीएचएस वेलनेस सेंटरों से संबंधित हमारे द्वारा दिए गए सुझावों पर निश्चित रूप से गौर करेगी.' समिति ने पाया है कि ऐसे कई शहर और कस्बे हैं जहां बड़ी संख्या में केंद्रीय सरकार के कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रित हैं, लेकिन वहां कोई सीजीएचएस वेलनेस सेंटर मौजूद नहीं है. परिणामस्वरूप, लाभार्थियों, विशेष रूप से सेवानिवृत्त लाभार्थियों को चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ती है. इससे उन्हें असुविधा होती है. यह परिदृश्य, लाभार्थियों पर आर्थिक रूप से बोझ डालने के अलावा, लाभार्थियों के लिए कई अन्य कठिनाइयों का भी कारण बनता है.'