विपक्षी दलों के सांसदों ने श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में शुक्रवार को संसद के परिसर में प्रदर्शन किया. सरकार से इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने की मांग की. तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), कांग्रेस और वाम दलों के सांसदों ने इस प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के डेरेक ओ ब्रायन एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के सुदामा प्रसाद समेत विपक्षी दलों के कई अन्य सांसद भी शामिल हुए.
प्रदर्शन कर रहे सांसदों ने हाथों में तख्तियां पकड़ रखी थीं, जिसमें लिखा था, 'तमिल मछुआरों के लिए न्याय', 'हमारे मछुआरों को वापस लाओ', 'अब और गिरफ्तारी नहीं' तथा 'तमिलनाडु के मछुआरे भारतीय हैं.'
द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि तमिल मछुआरों की गिरफ्तारी का मामला राष्ट्रीय मुद्दा है, क्योंकि वे भारतीय हैं और श्रीलंका में उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है. शिवा ने कहा कि कई अन्य दल भी प्रदर्शन में शामिल हुए. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे राज्य तक सीमित नहीं रखना चाहिए. वे तमिल मछुआरे हैं, वे भारतीय हैं.
राज्यसभा के सदस्य ने कि मछुआरों को वर्षों से प्रताड़ित, परेशान और मारा जा रहा है. सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. इससे पहले वे (श्रीलंकाई अधिकारी) उन पर हमला करते थे. उनका जाल छीन लेते थे, लेकिन अब तो उन्होंने गरीब मछुआरों पर गोली चलाने के लिए हथियारों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
उन्होंने दावा किया कि मछुआरे अब समुद्र में जाने से डरने लगे और इससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है. शिवा ने कहा कि इन मछुआरों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने का प्रस्ताव है. द्रमुक सांसद कनिमोझी ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को कई बार पत्र लिखकर स्थायी समाधान निकालने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा कि श्रीलंका की नौसेना तमिलनाडु के मछुआरों को गिरफ्तार कर उन्हें परेशान कर रही है. तमिलनाडु के करीब 97 मछुआरों को गिरफ्तार किया गया है. हमारे मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को पत्र लिखा है.
लोकसभा की सदस्य ने कहा कि उन्होंने (श्रीलंकाई अधिकारियों ने) लगभग 200 नौकाएं छीन लीं... मछुआरों की आजीविका प्रभावित हो रही है. श्रीलंका सरकार ने नौकाएं ले लीं और उन्हें अपना करार दिया, लेकिन केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया. हमारी मांग है कि मछुआरों को रिहा किया जाए, नौकाएं वापस की जाएं तथा इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकाला जाए.
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भी केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने और श्रीलंका सरकार से बातचीत करने की मांग की. लोकसभा के सदस्य ने कहा कि हम श्रीलंका द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों को लगातार गिरफ्तार किए जाने के मुद्दे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं...
टैगोर ने कहा कि पहले वे (श्रीलंकाई अधिकारी) मछुआरों को गिरफ्तार कर लेते थे, लेकिन उनकी नौकाएं दे देते थे. लेकिन अब वे नौकाएं नहीं देते, जिससे मछुआरों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए. उसे श्रीलंका के अधिकारियों से बात करनी चाहिए और मछुआरों की नौकाओं और अन्य सामनों को जब्त करने से रोकना चाहिए.
भारत और श्रीलंका के बीच तमिलनाडु के मछुआरों का मुद्दा कई वर्षों से विवाद का विषय रहा है. द्वीपीय राष्ट्र की नौसेना पर कई बार यह आरोप लगता है कि वे पाक जलडमरूमध्य में उसके जलक्षेत्र में कथित तौर पर भारतीय मछुआरों के दाखिल हो जाने पर गोलीबारी करते हैं और उनकी नौकाओं को जब्त कर लेते हैं.
श्रीलंकाई अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में अपने जलक्षेत्र में प्रवेश करने के आरोप में 10 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया था और उनकी नौकाएं जब्त कर ली थीं. श्रीलंकाई नौसेना ने अवैध तौर पर मछली पकड़ने के आरोप में वर्ष 2024 में 550 से अधिक भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था.