नई दिल्ली: भारत के औषधि नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के गुणवत्ता परीक्षण में पैरासिटामोल, कैल्शियम और विटामिन डी3 सप्लीमेंट, उच्च रक्तचाप की दवाएं और मधुमेह रोधी गोलियां समेत 50 से अधिक दवाएं फेल हो गई हैं. जिससे उनके इस्तेमाल को लेकर कई चिंताएं पैदा हो गई हैं.
सीडीएससीओ ने अगस्त 2024 के लिए अपनी ताजा मासिक औषधि चेतावनी रिपोर्ट में दर्जनों दवाओं की पहचान 'मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं (एनएसक्यू) चेतावनी' के तहत की है.
अखिलेश यादव ने उठाए सवाल
ज्यादा बिक्री वाली इन 53 दवाइयों के क्वालिटी टेस्ट में फेल होने के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, जब तक भाजपा कंपनियों से चंदा बटोरती रहेगी, तब तक कम गुणवत्तावाली दवाइयों का धंधा जारी रहेगा. उन्होंने सवाल किया कि इस रिपोर्ट के बाद भी कोई कार्रवाई होगी या चंदे की राशि बढ़ाकर मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा.
फार्मा कंपनियां लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहीं...
कांग्रेस ने भी दवाइयों की गुणवत्ता का मामला उठाया है. कांग्रेस ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, अब खबर है कि 50 से ज्यादा दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं. ये रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली दवाएं हैं, जैसे- बुखार, शुगर, ब्लड प्रेशर, विटामिन, एंटीबायोटिक्स की दवाएं. ये खबर बताती है कि फार्मा कंपनियां लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं और इससे करोड़ों बना रही हैं.
कांग्रेस ने आगे कहा, हमने वो खबर भी देखी है कि जिन फार्मा कंपनियों की दवाएं टेस्ट में फेल हुईं, वो कंपनियों 'चंदा दो-धंधा लो' की टेक्निक से क्लीनचिट पा गईं. यही वजह है कि इन कंपनियों को अब कोई डर नहीं रहा है, क्योंकि इनके मालिक जानते हैं.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ये चेतावनी राज्य औषधि अधिकारियों द्वारा विभिन्न प्रयोगशालाओं में किए गए रैंडम मासिक नमूने की जांच के आधार पर जारी की गई. कुल 53 दवाएं सीडीएससीओ के गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहीं, जो बहुत ज्यादा बिकती हैं.
इन दवाओं में पैरासिटामोल (आईपी 500 मिलीग्राम की गोलियां), शेल्कल (विटामिन सी और डी3 की गोलियां), विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन सी सॉफ्ट जैल, पैन-डी (एंटीएसिड), ग्लिमेपिराइड (मधुमेह विरोधी दवा) और टेल्मिसर्टन (उच्च रक्तचाप के लिए) और कई अन्य शामिल हैं.