दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

एक दशक में 27 हजार से अधिक कुत्तों की नसबंदी, फिर भी लद्दाख का इकोसिस्टम संकट में - FERAL DOGS IN LADAKH

एक्सपर्ट लद्दाख जंगली कुत्तों की बढ़ती आबादी के कारण इकोलॉजिकल असंतुलन पर चिंता जता रहे हैं. पढ़ें ईटीवी भारत संवाददाता रिनचेन आंगमो चुमिक्चन की रिपोर्ट.

Ladakh
लद्दाख में कुत्तों से संकट (AFP)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 21, 2025, 3:49 PM IST

लेह: लद्दाख जंगली कुत्तों की बढ़ती आबादी के कारण बढ़ते इकोलॉजिकल संकट से जूझ रहा है. लेह के पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2024 के बीच लद्दाख में 27,823 कुत्तों की नसबंदी की गई. इन प्रयासों के बावजूद जंगली कुत्ते इस क्षेत्र के नाजुक इको सिस्टम इसके दुर्लभ वन्यजीवों और यहां तक ​​कि मानव जीवन के लिए भी गंभीर खतरा बने हुए हैं.

एक्सपर्ट और निवासी समान रूप से इन कुत्तों द्वारा बनाए गए महत्वपूर्ण इकोलॉजिकल असंतुलन पर चिंता जता रहे हैं. वे हिम तेंदुए और हिमालयी भेड़ियों जैसे टॉप शिकारियों के लिए खतरा हैं. वे पल्लास की बिल्ली, तिब्बती जंगली गधा, काली गर्दन वाले सारस और मर्मोट जैसी कमजोर प्रजातियों को निशाना बनाते हैं. लद्दाख भर के समुदाय पशुधन की हानि, वन्यजीवों के शिकार और यहां तक ​​कि मानव मृत्यु की घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं.

पूर्वी लद्दाख में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है, जहां वन्यजीवों की सांद्रता सबसे अधिक है. हितधारक सेना और पर्यटक शिविरों द्वारा असंवहनीय अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं जैसे फैक्टर्स की ओर इशारा करते हैं, जिससे जंगली कुत्तों का प्रसार होता है.

वन्यजीवों के लिए बड़ा खतरा
वन्यजीव संरक्षण और पक्षी क्लब ऑफ लद्दाख (WBCYL) के संस्थापक लोबजंग विशुद्ध कहते हैं, "लंबी दूरी तक घूमने वाले कुत्ते लद्दाख के वन्यजीवों के लिए बड़ा खतरा हैं. ये कुत्ते मुख्य रूप से सेना और पर्यटक शिविरों से निकलने वाले खाद्य अपशिष्ट पर जीवित रहते हैं. जब ये बस्तियां शिफ्ट होती हैं, तो कुत्तों को भोजन की तलाश में 15-20 किलोमीटर की यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इससे उनकी आबादी में विस्फोट हुआ है, जिससे क्षेत्र के नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा हुई हैं."

जगली कुत्तों का मुद्दा गंभीर चुनौती
WWF के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी रिग्जिन दावा कहते हैं, "हमारे प्री-असेस्मेंट सर्वे के दौरान हमने पाया कि जंगली कुत्तों का मुद्दा महत्वपूर्ण है, खासकर पूर्वी लद्दाख में करग्याम चिबरा से त्सोकर तक. जंगली कुत्तों की बढ़ती आबादी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है, जिससे संभावित रूप से असंतुलन पैदा हो सकता है. पूर्वी लद्दाख के पूरे क्षेत्र में जंगली कुत्तों का मुद्दा एक गंभीर चुनौती बना हुआ है."

जंगली जानवरों का शिकार
लद्दाख की पक्षीविज्ञानी पद्मा ग्यालपो कहती हैं, "जंगली कुत्ते अक्सर स्टॉलिकज़्का के पहाड़ी वोल, लद्दाख पिका और पठार पिका का शिकार करते हैं, जो पल्लास की बिल्ली, तिब्बती रेत लोमड़ी, यूरेशियन ईगल उल्लू और अपलैंड बजर्ड जैसी दुर्लभ प्रजातियों का प्राइमरी आहार हैं. जब इन कुत्तों को भोजन नहीं मिल पाता है, तो वे जंगली जानवरों का शिकार करना शुरू कर देते हैं, जिससे देशी वन्यजीवों के लिए भोजन की आपूर्ति और कम हो जाती है. यह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक अप्रत्यक्ष लेकिन गंभीर खतरा पैदा करता है. अनले में, मैंने व्यक्तिगत रूप से जंगली कुत्तों को एक तिब्बती जंगली गधे के बच्चे पर हमला करते और उसे मारते हुए देखा है."

यह भी पढ़ें- युवाओं पर भारी पड़ रही सिजोफ्रेनिया, बुजुर्गों से ज्यादा शिकार हो रही नई पीढ़ी!

ABOUT THE AUTHOR

...view details